
‘डिजिटल युग की चुनौतियां’ विषय पर आयोजित हुई राष्ट्रीय वेबिनार संगोष्ठी
रिपोर्ट विरेंद्र प्रताप उपाध्याय
वाराणसी। डिजिटल तकनीक ने जहां जीवन को आसान बनाया है, वहीं इसके दुरुपयोग की आशंका भी तेजी से बढ़ी है। व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन स्टोर होने के कारण साइबर अपराधी सक्रिय हो गए हैं, जो जरा-सी असावधानी का फायदा उठा लेते हैं। यह बातें बुधवार को आयोजित एक राष्ट्रीय वेबिनार में शिक्षाविदों ने कहीं।
प्रो. बीएन जुयाल एजुकेशनल फाउंडेशन ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित वेबिनार ‘डिजिटल युग की चुनौतियां’ विषय पर केंद्रित रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. अंबिका प्रसाद गौड़ ने की। उन्होंने स्वागत भाषण में डिजिटल युग की जटिलताओं और इसके जिम्मेदार उपयोग पर जोर दिया।
बीज वक्तव्य साहित्यकार व पत्रकार डॉ. अत्रि भारद्वाज ने प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यमों का अंधाधुंध उपयोग अगर विवेकहीन हो गया, तो यह समाज को कई स्तरों पर प्रभावित कर सकता है।
प्रो. श्रद्धानंद ने डिजिटल युग में डेटा गोपनीयता, साइबर सुरक्षा, सामाजिक अलगाव और प्रशिक्षित मानव संसाधन की कमी जैसे मुद्दों को गंभीर चुनौती बताया। आर्यन इंटरनेशनल स्कूल के डिप्टी डायरेक्टर गणेश सहाय ने हैकिंग व फिशिंग को विशेष रूप से उल्लेखनीय खतरा करार दिया।
दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय की सहायक आचार्य डॉ. विदुषी आमेटा ने कहा कि डिजिटल जीवनशैली हमें प्राकृतिक परिवेश से दूर कर रही है, जो भविष्य में सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से चिंता का विषय बन सकती है। कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. देवेंद्र कुमार सिंह ने किया।