
राजा के लिए उसका प्रजा ही परिवार होता है –रामानुज श्री वैष्णव दास जी महाराज
मिर्जामुराद : क्षेत्र के ग्राम सभा प्रतापपुर में चल रही सप्त दिवसीय संगीतमयी श्री राम कथा के चतुर्थ दिवस में कथा व्यास रामानुज श्री वैष्णव दास जी महाराज ने कहां की चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ जी के पास सब कुछ वैभव होने के बाद भी स्वयं अपने परिवार में वंश वृद्धि पर कभी ध्यान ही आकृष्ट नहीं किया।
जिसका मूल कारण वे संपूर्ण अयोध्यावासी सहित आम जनमानस को ही अपना परिवार मानते थे और उसी तरह पालन पोषण करते थे।
एक राजा के लिए उसका प्रजा ही परिवार होता है।
राजनीति पर कुठाराघात करते हुए पूज्य महाराज श्री ने कहा कि आज छोटे-छोटे पद पाकर के लोगों के भीतर दंभ का भाव उत्पन्न हो जाता है। लेकिन एक जनप्रतिनिधि को अपने क्षेत्र की जनता को परिवार की तरह पालन पोषण पर ध्यान देना चाहिए।
राम विवाह की अनेक चौपाइयों का भावपूर्ण व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि 16 संस्कारों में एक विवाह संस्कार भी है। हम सब सनातन धर्मावलंबियों को अपने धर्म पर गर्व होना चाहिए कि जिस परंपरा से नारायण का विवाह संपन्न हुआ उसी रीति रिवाज से हमारे आपके घर की बहन बेटों की शादियां की जा रही है।
सीता जी के द्वारा गौरी मंदिर में निज अनुरूप शुभग बर मांगा का वर्णन आता है उसके बाद भी मैया सीता का विवाह सांवले श्याम राम जी से हुई।
कथा पंडाल में बैठी बेटियों से उन्होंने आह्वान किया कि वर में बाहरी सुंदरता नहीं, आंतरिक सुंदरता होनी चाहिए।
जिस वर में आंतरिक सुंदरता विद्या विनय गुण सील पवित्र आचरण है वहीं वर सुंदर है।
कथा के बीच में सुंदर सुंदर भजनों पर पूरा पंडाल नृत्य करने पर विवश हो गया।
इस दौरान भाजपा नेता व प्रबंधक संजीव सिंह गौतम, कथा के मुख्य यजमान पूर्व प्रधान रूद्र प्रकाश सिंह, अजय सिंह मुन्ने, अभिषेक त्रिपाठी ‘सुमित’, मनीष मिश्रा, बच्चा सिंह, कल्लू सिंह, राजीव सिंह, शैलेंद्र बहादुर सिंह, योगेश कुमार सिंह, चुन्ने सिंह, जयप्रकाश पाण्डेय, बच्चा पाण्डेय, कैलाश पटेल आदि व्यवस्था में लगे रहे।