सीएम दरबार में की गई शिकायत पर लेखपाल ने
लगाई भ्रामक रिपोर्ट, नहीं हुआ निष्पक्ष निस्तारण
वाराणसीः डीएम, सीएम चाहे पीएम के दरबार में गुहार लगा लें जबतक मामले का संज्ञान उच्च अधिकारी नहीं लेगें तबतक शिकायत का निष्पक्ष निस्तारण नहीं होने वाला है। कर्मचारी की रिपोर्ट पर शिकायत का गलत निस्तारण कर दिया जा रहा है जिससे पीड़ित गुहार लगाते-लगाते न्याय की आस छोड़ रहे हैं।
जनपद के सदर तहसील में पड़ने वाले ग्राम सभा रामचन्दीपुर का एक मामला प्रकाश में आया है। शिकायतकर्ता अरूण कुमार गुप्ता जो भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता भी हैं। पिछले दिनों मुख्यमन्त्री जनता दरबार लखनऊ जाकर अपनी भूमिधरी को विपक्षियों के कब्जे से मुक्त कराने की गुहार लगाई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले का संज्ञान लेते हुए निष्पक्ष निस्तारण के लिए जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी को पत्र भेजा था।
जिला मजिस्ट्रेट ने मामले की जांच कर आख्या के लिए उप जिला मजिस्ट्रेट सदर को तो वहीं उप जिला मजिस्ट्रेट सदर ने तहसीलदार सदर को तहसीलदार सदर ने नायब तहसीलदार जाल्हूपुर को नायब तहसीलदार जाल्हूपुर ने राजस्व निरीक्षक जाल्हूपुर को राजस्व निरीक्षक जाल्हूपुर ने लेखपाल रामचन्दीपुर को क्रमशः पत्र अग्रसारित कर दिया। लेखपाल मनु उपाध्याय ने जो जांच रिपोर्ट लगाई वह बाई चैनल डीएम से सीएम तक पहुँचा दी गई लेकिन किसी अधिकारी ने पीड़ित के शिकायती पत्र से लेखपाल की जांच रिपोर्ट का मिलान करने का समय नहीं दिया।आँख मूद कर अग्रसारित कर दिया।
पीड़ित ने मुख्यमन्त्री दरबार में दिए अपने शिकायती पत्र में उल्लेख किया है कि मौजा रामचन्दीपुर में स्थित आराजी नंबर 311 रकबा 0.741 हेक्टेयर भूमि का राजस्व विभाग ने वर्ष 2010-12 में पक्की नापी किया था। जिससे ज्ञात हुआ कि पीड़ित के आराजी नंबर 311 में 0.332 हेक्टेयर भूमि पर गांव के विपक्षीगणो का पक्का मकान, मजार और कृषि कब्जा है। पीड़ित को पक्की नापी से जब जानकारी हुई की उसकी 0.3.32 हेक्टेयर भूमि पर विपक्षीगणों ने कब्जा किया है। तबसे न्याय की गुहार लगाता हुआ दर-दर भटक रहा है।
पीड़ित की शिकायत की जांच करते हुए लेखपाल रामचन्दीपुर मनु उपाध्याय ने रिपोर्ट लगाई है कि शिकायतकर्ता के आराजी नंबर 311 व विपक्षीगणों के आराजी नंबर 310 के बीच सीमा विवाद है। इसलिए शिकायतकर्ता को पक्की नापी कराने के लिए अवगत करा दिया गया है। लेखपाल की जांच रिपोर्ट शिकायत से हटकर है। शिकायतकर्ता पहले ही पक्की नापी करा चुका है और दोनों के बीच सीमा विवाद नहीं बल्की कब्जा भूमि मुक्त कराने के लिए गुहार लगाई है। ऐसे में लेखपाल ने जो जांच रिपोर्ट लगाई है वह निष्पक्ष नहीं दिख रही है।