
स्वतंत्रता दिवस पर विश्वनाथ मंदिर बीएचयू में प्रो. चंद्रमौली उपाध्याय ने लगाया सुंदर पुष्पों वाला दो नागलिंगम पेड़।
वाराणसी :- स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर श्री विश्वनाथ मंदिर बीएचयू के पूर्व मानित व्यवस्थापक तथा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य प्रो.श्री चन्द्रमौली उपाध्याय ने भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय पुष्प नागलिंग के दो वृक्ष विधि पूर्वक पूजा करके रोपित किए | इस अवसर पर विश्वनाथ मंदिर बीएचयू के मानित व्यवस्थापक प्रो० विनय पांडेय, सहायक मानित व्यवस्थापक डा० सुभाष पाण्डेय गंगा हरितिमा के ब्रांड एंबेसडर एवं सृजन सामाजिक विकास न्यास के अध्यक्ष अनिल सिंह एवं भारत विकास परिषद,काशी प्रांत के पर्यावरण प्रकल्प प्रमुख मदन राम चौरसिया ने पवित्र वृक्षारोपण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया अन्य शिव भक्तों ने भी सहभागिता की |
भारत में इसके प्राकृतिक शिवलिंग स्वरूप पवित्र फूलों के कारण शिव मंदिरों में बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं हिंदी में इसे शिव कमल और कैलाशपति के नाम से भी जाना जाता है | तमिल में इसे नागलिंगम वृक्ष कहा जाता है हिंदी में शिवलिंग फूल , कन्नड़ में नागलिंग पुष्प,तेलगु में मल्लिकार्जुन फूल कहा जाता है क्योंकि इनकी पंखुड़ियां नाग के फन के समान होती हैं जो फूल के स्त्रीकेसर पर नाग के फन जैसा फैला होता है जो शिवलिंग की रक्षा करती है इसीलिए इसे नागलिंगम कहा जाता है श्रावण माह में इस वृक्ष के पत्तियों के झड़ जाने के बाद तने से ही हजारों पुष्प खिल जाते हैं |
शिव पुराण की मान्यता के अनुसार भगवान शिव की पूजा में सिर्फ एक नागलिंग का पुष्प शिवलिंग पर चढ़ाने मात्र से ही शिव भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है | यह वृक्ष हिंदू धर्म के के अतिरिक्त बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी पवित्र माना जाता है इसे कैनन बाल ट्री के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसके फल तोप के गोले की भांति होते हैं जो जमीन पर गिरते ही विस्फोट के साथ फट जाते हैं | फल ,बीज पशु पक्षी एवं चमगादड़ द्वारा बहुत पसंद किया जाता है फल की गंध तो अच्छी नहीं होती है लेकिन फूलों की सुगंध बहुत दूर तक जाती है इनका इस्तेमाल परफ्यूम कॉस्मेटिक को सुगंधित करने के लिए किया जा सकता है फूलों का सौंदर्य में गुलाबी ,बैगनी, सफेद और पीले रंग का संयोजन होता है | एक पेड़ पर प्रतिदिन लगभग 1000 से अधिक फूल मौजूद रहते हैं वृक्षारोपण के ठीक 12 वर्ष बाद इन वृक्षों में फूल खिलते हैं |
इस वृक्ष का पत्ती,छाल और फल औषधीय गुणों वाला होता है मुख्य रूप से हाई ब्लड प्रेशर,कैंसर,दर्द व सूजन, सर्दी में ,पेट दर्द को ठीक करने,त्वचा रोगों,घाव एवं दांत दर्द ठीक करने में उपयोगी है |
वास्तव में नागलिंगम वृक्ष अमेजन के वर्षा वनों से यात्रा करते हुए दक्षिण अमेरिका से भारत पहुंचा और अपने अनुकूलित जलवायु प्रकार यहां भी खूब पुष्पित और पल्लवित हो रहा है अब दक्षिण एशिया में यह वृक्ष बहुतायत में पाया जाता है | इस अवसर पर मदन राम चौरसिया ने श्रद्धेय श्री चंद्रमौली गुरू जी के घर को सर्वाधिक सुगंधित पुष्प से सुशोभित करने के लिए एक स्वर्ण चंपा का पौधा प्रदान किया ||