
प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर देव दीपावली पर दिखेगा अद्धभुत एवं अलौकिक नजारा।
500 किलो फूलों से निखरेगा दशाश्वमेध घाट,माँ गंगा की 108 किलो की अष्टधातु की प्रतिमा का होगा विशेष श्रृंगार।
(रिपोर्ट: संतोष कुमार सिँह)
वाराणसी :- देव दीपावली पर काशी का प्राचीन दशाश्वमेध घाट देवताओं के स्वागत में पलक-पांवड़े बिछायेगा | 34 वर्षों से चल रही परम्परा के अनुसार दशाश्वमेध घाट पर नियमित आरती करने वाली संस्था गंगोत्री सेवा समिति के तत्वावधान में वैदिक रीति से गंगा महारानी का पूजन-स्तवन संग 151 लीटर दूध से अभिषेक करके गंगा निर्मलीकरण का आह्वाहन किया जायेगा | गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष किशोरी रमण दुबे ( बाबू महाराज ) ने 13 नवंबर बुधवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि गंगा तट पर सिंहासनारूढ़ गंगा महारानी की 108 किलो की अष्टधातु की श्रृंगारिक प्रतिमा और उनकी अलौकिक आरती की निराली छवि आकषर्ण का केंद्र होगी |
मां गंगा का शास्त्रोक्त विधि से पूजन के क्रम में समूचे घाट को 500 किलो देशी और विदेशी फूलों से सजाया जायेगा | बताया कि गंगोत्री सेवा समिति द्वारा देव दीपावली को समाज और देश की रक्षा हेतु अपने प्राणों का न्योछावर करने वाले देश के वीर पुलिस,पीएसी और सशस्त्र बल के जवानों को समर्पित किया जायेगा | इसी क्रम में 42 ऋद्धि – सिद्धि के रूप में गंगा की महाआरती के दौरान बेटियों का नेतृत्व नारी शक्ति के सम्मान का संकल्प दोहराएगा |
इस वर्ष के आयोजन में 21 बटुकों संग 21 डमरुदल गंगा आरती की शोभा बढ़ाएंगे | पत्रकार वार्ता में उपस्थित गंगोत्री सेवा समिति के सचिव पं० दिनेश दुबे ने बताया कि आयोजन की अध्यक्षता सुमेरू पीठ के शंकराचार्य पूजनीय स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती करेंगे | माँ गंगा की महाआरती के पश्चात सांस्कृतिक संध्या सभी का मन मोहेगी ||