
श्रीमद्भागवत कथा का समापन: राष्ट्र गौरव का संदेश
जौनपुर: ग्राम परसथ, बेलवा बाजार में 1 मार्च से 7 मार्च 2025 तक आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिवस पर प्रसिद्ध कथावाचक डॉ. नरेंद्र नाथ व्यास जी ने धर्म, अध्यात्म और राष्ट्रभक्ति पर विशेष प्रवचन दिया।
डॉ. व्यास जी ने शम्बरासुर कथा का उल्लेख करते हुए बताया कि यदि इच्छाएं धर्म के विरुद्ध न हों, तो वे कल्याणकारी होती हैं। लेकिन अधार्मिक इच्छाएं समाज के लिए घातक और व्यक्ति के लिए पापकारक सिद्ध होती हैं।
व्यास जी ने श्रीकृष्ण के 16,008 विवाह की व्याख्या करते हुए बताया कि वेदों में 16,000 उपासना कांड के मंत्र हैं, जिनका गलत अर्थ लगाया गया। भगवान श्रीकृष्ण ने इन मंत्रों का सही रूप में उपयोग कर समाज को दिशा दी। उनकी 8 पटरानियां अष्टधा प्रकृति (पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार) की प्रतीक थीं, जिन पर भगवान का पूर्ण अधिकार था।
श्री व्यास जी ने बताया कि “अहिंसा परमो धर्म:” शास्त्रों का मूल संदेश है। जो भी राजा शिकार के लिए गया, उसे श्राप मिला। महाभारत के युद्ध में दोनों पक्षों में धर्म के अवतार थे—कौरव पक्ष में विदुर जी और पांडव पक्ष में धर्मराज युधिष्ठिर। लेकिन जहां धर्म का शासन होता है, वहीं विजय प्राप्त होती है।
श्री व्यास जी ने अवधूत भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरुओं की कथा सुनाते हुए बताया कि हमें हर व्यक्ति के गुणों को देखना चाहिए, न कि दोषों को। जीवन में संतोष रखना, वायु की तरह निर्लिप्त रहना, विपत्तियों में धैर्य बनाए रखना और सदैव लोक कल्याण के लिए तत्पर रहना चाहिए।
कथा के समापन पर व्यास जी ने कहा, “अपने राष्ट्र को गौरवान्वित करने का सतत प्रयास करना चाहिए, यही श्रीमद्भागवत कथा का मूल मंत्र है।” हमें ईर्ष्या-द्वेष से मुक्त होकर समदृष्टि रखते हुए आत्मकल्याण और समाज के हित में कार्य करना चाहिए।
यह भव्य आयोजन ग्राम परिषद बेलवा बाजार, जौनपुर के निवासी ऋषिकेश तिवारी (केशव तिवारी) के तत्वावधान में संपन्न हुआ। आयोजन में क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया और श्रीमद्भागवत कथा के इस दिव्य ज्ञान का लाभ उठाया।