
वृद्धाश्रम में मां के जीवित होने की खबर पाकर खुशियों से झूम उठे बेटे
(रिपोर्ट विवेक राय)
वाराणसी। बड़ागांव थाना क्षेत्र के कुंडी गांव में एक चमत्कारिक घटना ने पूरे परिवार और गांव को भावुक कर दिया। जिस मां को मृत मानकर बेटे उसकी त्रयोदशा की तैयारी कर रहे थे, उसी मां के जीवित होने की खबर पाकर पूरा परिवार खुशी से झूम उठा।
32 साल पहले घर से लापता हुई मां: कुंडी गांव निवासी अरविंद पाठक उर्फ कल्लू ने बताया कि उनकी मां, उमा देवी, लगभग 32 साल पहले घर से कहीं चली गई थीं। परिवार ने उन्हें ढूंढने के लिए कई प्रयास किए, यहां तक कि स्थानीय थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई। लेकिन लंबे समय तक कोई सुराग नहीं मिला। मां के न मिलने पर परिवार ने उन्हें मृत मान लिया और हाल ही में ग्राम प्रधान से मृत्यु प्रमाण पत्र भी बनवा लिया। नवरात्रि के बाद उनकी अंतिम क्रिया के लिए तैयारी की जा रही थी।
वृद्धाश्रम से आई चमत्कारिक सूचना: इसी बीच लखनऊ स्थित पाऊल मर्सी होम वृद्धाश्रम से ग्राम प्रधान चंदगी यादव को एक फोन कॉल आया। कॉल में बताया गया कि उनके गांव की एक महिला, ऊमा देवी, पिछले 25 वर्षों से वृद्धाश्रम में रह रही हैं। यह सुनकर अरविंद और उनका परिवार हैरान रह गया।
मां की पहचान और मिलन का भावुक क्षण: बुधवार की शाम अरविंद अपने परिवार के साथ लखनऊ के वृद्धाश्रम पहुंचे। वहां पहुंचकर उन्होंने महिला के दाहिने हाथ पर पिता सीताराम पाठक का गोदना देखा और तुरंत अपनी मां को पहचान लिया। भावुक माहौल में मां-बेटों का मिलन हुआ, जिसे देखकर वहां मौजूद सभी लोग अभिभूत हो गए।
गुमशुदगी की कहानी: अरविंद ने बताया कि उनके पिता धनबाद की कोयला खदान में गार्ड के रूप में कार्यरत थे। 1988 में ब्रेन ट्यूमर के कारण उनकी मृत्यु हो गई, जिसके बाद मां उमा देवी अवसाद में चली गईं। पिता की मृत्यु के दो साल बाद मां की धनबाद में नौकरी लगी, लेकिन 1993 में बिना किसी को बताए वह घर से चली गईं। उस समय अरविंद की उम्र मात्र छह वर्ष और उनके बड़े भाई दयाशंकर की उम्र आठ वर्ष थी।
वृद्धाश्रम में जीवन और वापसी: सन् 2000 में उमा देवी लखनऊ स्थित पाऊल मर्सी होम वृद्धाश्रम पहुंचीं। वहां उनकी मानसिक स्थिति ठीक करने के लिए इलाज किया गया। जब वे अपनी पहचान बताने में सक्षम हुईं, तो वृद्धाश्रम ने वाराणसी पुलिस से संपर्क कर ग्राम प्रधान को सूचित किया। इसी सूचना के आधार पर अरविंद और उनके परिवार ने अपनी मां को खोज निकाला और उन्हें वापस घर ले आए।
गांव में उत्सव का माहौल: इस अद्भुत मिलन की खबर से गांव में उत्सव जैसा माहौल है। वर्षों से बिछड़े परिवार के पुनर्मिलन की इस कहानी ने सभी को भावुक कर दिया है। मां-बेटों का यह मिलन इस बात का प्रमाण है कि उम्मीदें कभी समाप्त नहीं होतीं।