हिंदू विवाह एक संस्कार है संविदा नही,विवाह एक बार हो जाने के बाद दंपत्ति को पूरे जीवन पर्यंत पवित्र संबंध को निभाना चाहिए – पंडित वशिष्ठ नारायण उपाध्याय
(संतोष कुमार सिंह )
वाराणसी :- श्री रामचरित मानस समिति वासुदेव नगर कालोनी द्वारा आयोजित नव दिवसीय विराट मानस सम्मेलन के चौथे दिन शनिवार को मानस पर बोलते हुए मानस वक्ता पंडित वशिष्ठ नारायण उपाध्याय ने कहा की हिंदू विवाह एक संस्कार है संविदा नही है | हिंदू विवाह एक बार हो जाने के बाद दंपत्ति को पूरे जीवन पर्यंत इस पवित्र संबंध को निभाना चाहिए वर्तमान समय में हो रहे विवाह के संबंध में चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा की पहले धर्म शास्त्र एवं वैदिक मान्यताओं के आधार पर विवाह हुआ करते थे लेकिन अब उन वैदिक मान्यताओं की अनदेखी करते हुए विवाह हो रहे है जिसका बुरा प्रभाव समाज पर पड़ रहा है उन्होंने दहेज के संदर्भ में भी चर्चा करते हुए कहा की अच्छे विवाह में दहेज रूपी राक्षस बाधक होता है | दहेज के आधार पर हुआ विवाह वैदिक मान्यताओं की अवहेलना करता है आज कल विवाह वाट्सएप के माध्यम से हो रहे है जो अस्थाई होते है और पति पत्नी के बीच कटुता बढ़ती रहती है और उनमें से एक पक्ष न्यायालयों की शरण लेता है विवाह एक पारिवारिक सुख शांति के लिए होता है न की मुकदमा लड़ने के लिए |
मानस वक्ता श्रीकांत पाठक सोनभद्र ने धनुष यज्ञ की चर्चा करते हुए कहा राजा श्री जनक ने यह शर्त रखा था की जो धनुष को भंग कर देगा उसी के साथ श्री सीता जी का विवाह संपन्न होगा | धनुष एक अहंकार था जिसे भगवान श्री राम ने तोड़ दिया इस प्रकार श्री राजा जनक की शर्तो को पूरा करके भगवान श्री राम ने मां सीता के साथ विवाह किया |
विजय जायसवाल,दयाशंकर त्रिपाठी, बुच्चूंन सिंह,प्रशांत कुमार सिंह आदि लोगो ने मानस वक्ताओं का माल्यार्पण कर स्वागत किया | सम्मेलन का संचालन क्षत्रधारी सिंह एडवोवेट ने किया ||