
परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया पर राष्ट्रीय वेबिनार, विद्वानों ने बताया इसे ईश्वरीय तिथि
(रिपोर्ट विरेंद्र प्रताप उपाध्याय)
वाराणसी। प्रोफेसर बी.एन. जुयाल एजुकेशनल फाउंडेशन ट्रस्ट के तत्वावधान में “अक्षय तृतीया : एक ईश्वरीय तिथि” विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में देशभर से जुड़े विद्वानों ने अक्षय तृतीया के धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम की शुरुआत ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं शिक्षाविद् डॉ. अंबिका प्रसाद गौड़ के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने अक्षय तृतीया के आयोजन की प्रासंगिकता और उद्देश्य को रेखांकित किया। विषय प्रवर्तन वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार डॉ. अत्रि भारद्वाज ने किया।
प्रो. श्रद्धानंद ने कहा कि यह दिन हिंदू धर्म में विशेष रूप से शुभ माना गया है। डॉ. राजीव श्रीवास्तव (सिनेमा इतिहासवेत्ता, मुंबई) ने कहा कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
रायपुर से जुड़ी शिक्षिका संजू साहू पूनम ने इसे आत्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का श्रेष्ठ अवसर बताया। योग गुरु आनंद प्रेमी ने अक्षय तृतीया को संधिकाल की संज्ञा देते हुए इसे आध्यात्मिक जागरण का समय कहा।
जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा की प्रोफेसर ऋचा मिश्रा ने बताया कि सनातन धर्म में अक्षय तृतीया को युगादि पर्व माना गया है और पौराणिक मान्यता है कि इस दिन किए गए कार्यों का फल अक्षय होता है।