
बिजली के निजीकरण के विरोध में बनारस में हजारों बिजली कर्मियों की विशाल बाइक रैली, मुख्यमंत्री से निजीकरण नीति वापस लेने की मांग
वाराणसी : उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के तहत आज वाराणसी में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले हजारों बिजलीकर्मियों ने एक विशाल बाइक रैली निकाली। इस रैली का उद्देश्य प्रदेश सरकार का ध्यान आकर्षित कर बिजली के निजीकरण के निर्णय को जनहित में निरस्त कराने की मांग करना था।
बाइक रैली भारत माता मंदिर से शुरू होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए वापस मंदिर पर समाप्त हुई। यहां बिजलीकर्मियों ने पहलगाम में आतंकवादी हमले में शहीद हुए पर्यटकों को श्रद्धांजलि देते हुए दो मिनट का मौन रखा।
बिजलीकर्मियों की मांग है कि संविदा कर्मियों को हटाने का आदेश तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि निजीकरण की दिशा में उठाए जा रहे कदमों के तहत संविदा कर्मियों को हटाया जाना न केवल अमानवीय है बल्कि यह आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के साथ अन्याय भी है। समिति का कहना है कि इनमें कई कर्मी अपंग हो चुके हैं और उन्हें हटाया जाना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।
संघर्ष समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि पूर्व में सरकार के साथ हुए समझौतों—5 अप्रैल 2018 और 6 अक्टूबर 2020—में यह तय हुआ था कि बिजली क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निजीकरण बिना कर्मियों की सहमति के नहीं किया जाएगा। वर्तमान में 42 जनपदों में बिजली वितरण का निजीकरण इन समझौतों का उल्लंघन है।
संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि आंदोलन के अगले चरण में 2 मई से लखनऊ स्थित शक्ति भवन पर सात दिवसीय क्रमिक अनशन किया जाएगा। इस अनशन में प्रतिदिन प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के बिजलीकर्मी भाग लेंगे और अन्य राज्यों से भी समर्थन में कर्मचारी शामिल होंगे।
रैली में भाग लेने वाले प्रमुख नेताओं में ई. अविनाश कुमार, ई. नरेंद्र वर्मा, ई. मायाशंकर तिवारी, ई. नीरज बिंद, प्रमोद कुमार, रामाशीष कुमार, राजेन्द्र सिंह, वेदप्रकाश राय, संतोष वर्मा, रमाशंकर पाल, अंकुर पाण्डेय व प्रशांत कुमार शामिल थे।