
भारत-बांग्लादेश के बीच रक्षा सहयोग को लगा झटका, जीआरएसई को हुआ बड़ा नुकसान
नई दिल्ली।भारत और बांग्लादेश के बीच बीते कुछ महीनों से जारी कूटनीतिक खटास अब रक्षा सहयोग को भी प्रभावित करने लगी है। बांग्लादेश सरकार ने कोलकाता स्थित सरकारी रक्षा शिपयार्ड गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) को दिया गया 21 मिलियन डॉलर का ऑर्डर रद्द कर दिया है। यह सौदा एक उन्नत समुद्री टगबोट के निर्माण से संबंधित था।
इस फैसले को बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के रूप में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि यह रक्षा सौदा जून 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत यात्रा के दौरान हुआ था। GRSE और बांग्लादेश नौसेना के बीच जुलाई 2024 में अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए थे। यह सौदा भारत की ओर से बांग्लादेश को दी गई 500 मिलियन डॉलर की रक्षा ऋण सीमा के अंतर्गत पहला बड़ा समझौता था।
GRSE ने इस अनुबंध के रद्द होने की सूचना नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड को भी दी है। कंपनी ने कहा कि बांग्लादेश सरकार द्वारा यह आदेश आधिकारिक रूप से रद्द कर दिया गया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब भारत ने हाल ही में बांग्लादेश से सिले-सिलाए वस्त्रों के आयात को केवल दो बंदरगाहों – कोलकाता और न्हावा शेवा तक सीमित कर दिया है।
जानकारों का कहना है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद युनूस की ओर से लिए जा रहे कठोर निर्णयों का असर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ रहा है। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि सेना द्वारा दिए गए चुनावी अल्टीमेटम के बाद युनूस सरकार अस्थिर हो गई है और विदेश नीति में आक्रामक तेवर अपना रही है।
इस अनुबंध का रद्द होना भारत के लिए रणनीतिक रूप से एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि यह सौदा बांग्लादेश के साथ दीर्घकालिक रक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम था। भारत-बांग्लादेश संबंधों में आई इस दरार से भविष्य के रक्षा समझौतों पर भी असर पड़ सकता है।
राजनीतिक अस्थिरता और आपसी अविश्वास के इस दौर में भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में दोनों देश इस मतभेद को सुलझाने की दिशा में कौन से कदम उठाते हैं।