
पिंडरा तहसील में भ्रष्टाचार के खिलाफ लामबंद हुए वकील, आंदोलन जारी
(रिपोर्ट विरेंद्र प्रताप उपाध्याय)
वाराणसी (पिंडरा)। पिंडरा तहसील में तैनात एसडीएम प्रतिभा मिश्रा और न्यायिक एसडीएम प्रज्ञा सिंह के कथित तानाशाही रवैये और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर अधिवक्ताओं में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। तहसील बार एसोसिएशन पिंडरा के नेतृत्व में वकीलों का आंदोलन बीते तीन सप्ताह से जारी है और अब यह विरोध प्रदेशव्यापी समर्थन की ओर बढ़ रहा है।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कृपाशंकर पटेल और महामंत्री सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि अधिवक्ताओं ने 3 जून को पिंडरा तहसील प्रांगण में महापंचायत आहूत की है, जिसमें प्रदेश भर के अधिवक्ताओं को आमंत्रित किया गया है। इसके लिए अन्य जिलों की बार एसोसिएशनों से संपर्क कर समर्थन जुटाया जा रहा है।
वकीलों का आरोप है कि एसडीएम प्रतिभा मिश्रा और न्यायिक एसडीएम प्रज्ञा सिंह द्वारा जनहित की अनदेखी कर मनमाने ढंग से फैसले सुनाए जा रहे हैं। साथ ही फरियादियों के साथ अभद्र व्यवहार की घटनाएं भी सामने आई हैं, जिससे आमजन का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठता जा रहा है।
बार पदाधिकारियों का कहना है कि अधिकारियों की कार्यप्रणाली से न केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि न्याय की अवधारणा भी प्रभावित हो रही है। अधिवक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि जिले के वरिष्ठ अधिकारी मामले में जानबूझकर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि उक्त अधिकारियों को उच्चस्तरीय संरक्षण प्राप्त है।
विवादों की बात करें तो अधिवक्ताओं ने उदाहरण देते हुए बताया कि एसडीएम मिश्रा द्वारा खड़खड़ी गांव निवासी किशन पांडे की निजी भूमि पर हो रहे निर्माण कार्य को रोक दिया गया और एक अन्य व्यक्ति को निजी ज़मीन से रास्ता देने का आदेश पारित किया गया। इतना ही नहीं, वर्षों पुराने खड़ंजे को हटवाने का भी निर्देश दिया गया।
इसी प्रकार, बड़ागांव के बिसईपुर निवासी विपिन पांडे के मामले में भी हाईकोर्ट से स्थगन आदेश (स्टे) के बावजूद विपक्षियों को खेत की जुताई करने दी गई और पीड़ित को तहसील कार्यालय से भगा दिया गया।
अधिवक्ताओं ने दो टूक कहा है कि जब तक इन दोनों अधिकारियों को तहसील से हटाया नहीं जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। प्रशासन की चुप्पी और अधिवक्ताओं की सक्रियता के बीच अब सभी की निगाहें 3 जून को प्रस्तावित महापंचायत पर टिकी हैं।