
स्वर्वेद महामंदिर में मनाया गया सद्गुरु कबीर प्राकट्योत्सव, श्रद्धा और आत्मसाक्षात्कार का उमड़ा जनसैलाब
(रिपोर्ट विरेंद्र प्रताप उपाध्याय)
वाराणसी (चौबेपुर)। स्वर्वेद महामंदिर धाम, उमरहां में आयोजित दो दिवसीय सद्गुरु कबीर प्राकट्योत्सव के अवसर पर श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। देशभर से आए हजारों श्रद्धालुओं ने संत-वाणी, योग और आत्मसाक्षात्कार की अनुभूति से ओतप्रोत इस आध्यात्मिक आयोजन में भाग लिया।
प्रसिद्ध संत और विहंगम योग के मार्गदर्शक विज्ञान देव महाराज ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “आत्मा का साक्षात्कार ही भक्ति का मूल है। सद्गुरु कबीर साहब की वाणी केवल शब्द नहीं, बल्कि आत्मा का शुद्ध प्रकाश है। जब श्रद्धा जुड़ती है, तो यही वाणी साधक के भीतर आत्मदीप बनकर अंधकार को मिटा देती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि विहंगम योग केवल वाणी का अध्ययन नहीं, बल्कि साहब की क्रियात्मक साधना की विधिवत अनुभूति का मार्ग है।
कार्यक्रम के अंत में विहंगम योग संस्थान के प्रमुख सद्गुरु आचार्य स्वतंत्र देव महाराज ने कहा, “कबीर साहब केवल समाज-सुधारक नहीं, आत्मा के प्रखर आलोकदाता थे। उन्होंने अनुभव-सत्य को जीवन का आधार बताया, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है। हमें ग्रंथों से पहले स्वयं के भीतर झांकना होगा – यही आत्मसाक्षात्कार है।”
उन्होंने कबीर साहब के प्रमुख ग्रंथ ‘बीजक’ का उल्लेख करते हुए कहा कि उसमें आत्मसाधना के सिद्धांतों का गूढ़ ज्ञान छिपा है।
सुबह 5:30 बजे से योग प्रशिक्षकों द्वारा निःशुल्क आसन, प्राणायाम और ध्यान का प्रशिक्षण दिया गया।
दोपहर 10 बजे सद्गुरु द्वय के सान्निध्य में विश्व शांति वैदिक महायज्ञ का आयोजन हुआ, जिसमें वैदिक मंत्रों की स्वर लहरियों और यज्ञ की आहुतियों ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर दिया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में नये जिज्ञासुओं को विहंगम योग की ब्रह्मविद्या दीक्षा दी गई। साथ ही आगंतुकों के लिए योग, आयुर्वेद, पंचगव्य और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से निःशुल्क स्वास्थ्य परामर्श भी उपलब्ध कराया गया।
महोत्सव स्थल पर भव्य पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें कबीर साहब और विहंगम योग से संबंधित लगभग 250 आध्यात्मिक पुस्तकों का संग्रह था। श्रद्धालुओं ने इन पुस्तकों का अवलोकन कर आध्यात्मिक लाभ लिया।
श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह शीतल जल, प्याऊ और विश्राम स्थल की उत्तम व्यवस्था की गई थी। सेवा दल के कार्यकर्ताओं ने पूरी तन्मयता से सेवा की, जिससे किसी को कोई असुविधा न हो।
गर्मी के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था। धूप तीव्र थी, पर आस्था उससे कहीं अधिक प्रखर। सभी के चेहरों पर भक्ति की आभा स्पष्ट दिखाई दे रही थी।
इस आयोजन में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, झारखंड, दिल्ली, मुंबई, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा, कोलकाता, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर सहित देश के विभिन्न राज्यों से भक्तों ने भाग लिया और सद्गुरु के आशीर्वाद से अपने जीवन के आध्यात्मिक मार्ग को प्रशस्त किया।