
किसानों को बताये गये पराली प्रबंधन के उपाय, कृषि विशेषज्ञो की सलाह- खेतों में फसल अवशेष न जलाएं किसान
चौबेपुर (वाराणसी) फसलों की कटाई के उपरांत खेतों में फसल अवशेष जलाना घातक हो सकता है। खेतों में फसल अवशेषों को जलाने से उनके जड़, तना, पत्तियों में संचित लाभदायक पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं।इतना ही नहीं बल्कि मिट्टी में मौजूद लाभदायक व मित्र कीट भी आग में जलकर नष्ट हो जाते हैं जिसके कारण वातावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
उक्त जानकारी बृहस्पतिवार को क्षेत्र के ढाका स्थित गौरी शंकर महादेव मंदिर परिसर में पराली प्रबंधन पर कृषि विभाग द्वारा आयोजित न्याय पंचायत स्तरीय जागरूकता गोष्ठी में बीटीएम देवमणि त्रिपाठी ने किसानों को दी। उन्होंने किसानों को खेतों में फसल अवशेषों को न जलाने की सलाह देते हुए डिकम्पोजर का प्रयोग करके फसल अवशेषों को सड़ाकर कम्पोस्ट खाद बनाने की सलाह दी।
जागरूकता रैली में लिया खेतों में पराली न जलाने का संकल्प
उप कृषि निदेशक अखिलेश कुमार सिंह के निर्देशानुसार “प्रमोशन आफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फार इन सीटू मैनेजमेंट आफ क्राप रेजीड्यू योजनान्तर्गत” पराली प्रबंधन पर आधारित एक दिवसीय जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ के पूर्व ढाका गांव में पराली प्रबंधन पर आधारित जागरूकता रैली निकाली गयी जिसमें गांव के किसानों ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग करते हुए खेतों में फसल अवशेष न जलाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम प्रधान सुमन देवी ने की।इस दौरान विनोद निषाद, शिवशंकर, बबिता, साधूराम, बुधना, अजगुत राम सहित भारी किसान उपस्थित रहे।