
(सन्तोष कुमार सिंह)
वाराणसी :- भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को निरस्त करने पर 11 दिसंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में भारत की संप्रभुता और अखंडता को बरकरार रखा है जिसे प्रत्येक भारतीय द्वारा सदैव संजोया जाता रहा है | सुप्रीम कोर्ट का यह कहना पूरी तरह से उचित है कि 5 अगस्त 2019 को हुआ निर्णय संवैधानिक एकीकरण को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया था न कि इसका उद्देश्य विघटन था सर्वोच्च न्यायालय ने इस तथ्य को भी भलीभांति माना है कि अनुच्छेद 370 का स्वरूप स्थायी नहीं था |जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की खूबसूरत और शांत वादियां, बर्फ से ढके पहाड़, पीढ़ियों से कवियों, कलाकारों और हर भारतीय के दिल को मंत्रमुग्ध करते रहे हैं यह एक ऐसा अद्भुत क्षेत्र है जो हर दृष्टि से अभूतपूर्व है । जहां हिमालय आकाश को स्पर्श करता हुआ नजर आता है और जहां इसकी झीलों एवं नदियों का निर्मल जल स्वर्ग का दर्पण प्रतीत होता है लेकिन पिछले कई दशकों से जम्मू-कश्मीर के अनेक स्थानो पर ऐसी हिंसा और अस्थिरता देखी गई जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती ।
वहां के हालात कुछ ऐसे थे जिससे जम्मू-कश्मीर के परिश्रमी, प्रकृति प्रेमी और स्नेह से भरे लोगों को कभी भी रूबरू नहीं होना चाहिए था लेकिन दुर्भाग्यवश, सदियों तक उपनिवेश बने रहने, विशेषकर आर्थिक और मानसिक रूप से पराधीन रहने के कारण तब का समाज एक प्रकार से भ्रमित हो गया |अत्यंत बुनियादी विषयों पर स्पष्ट नजरिया अपनाने के बजाय दुविधा की स्थिति बनी रही जिससे और ज्यादा भ्रम उत्पन्न हुआ अफसोस की बात यह है कि जम्मू- कश्मीर को इस तरह की मानसिकता से व्यापक नुकसान हुआ |देश की आजादी के समय तब के राजनीतिक नेतृत्व के पास राष्ट्रीय एकता के लिए एक नई शुरुआत करने का विकल्प था लेकिन तब इसके बजाय उसी भ्रमित समाज का दृष्टिकोण जारी रखने का निर्णय लिया गया, भले ही इस वजह से दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करनी पड़ी |मुझे अपने जीवन के शुरुआती दौर से ही जम्मू- कश्मीर आंदोलन से जुड़े रहने का अवसर मिला है मेरी अवधारणा सदैव ही ऐसी रही है जिसके अनुसार जम्मू-कश्मीर महज एक राजनीतिक मुद्दा नहीं था बल्कि यह विषय समाज की आकांक्षाओं को पूरा करने के बारे में था | डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को नेहरू मंत्रिमंडल में एक महत्वपूर्ण विभाग मिला हुआ था और वे काफी लंबे समय तक सरकार में बने रह सकते थे फिर भी उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर मंत्रिमंडल छोड़ दिया और आगे का कठिन रास्ता चुना, भले ही इसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी लेकिन उनके अथक प्रयासों और बलिदान से करोड़ों भारतीय कश्मीर मुद्दे से भावनात्मक रूप से जुड़ गए |कई वर्षों बाद अटल जी ने श्रीनगर में एक सार्वजनिक बैठक में इंसानियत’ जम्हूरियत और ‘कश्मीरियत’ का प्रभावशाली संदेश दिया जो सदैव ही प्रेरणा का महान स्रोत भी रहा है | मेरा हमेशा से दृढ़ विश्वास रहा है कि जम्मू-कश्मीर में जो कुछ हुआ था वह हमारे राष्ट्र और वहां के लोगों के साथ एक बड़ा विश्वासघात था | मेरी यह भी प्रबल इच्छा थी कि मैं इस कलंक को लोगों पर हुए इस अन्याय को मिटाने के लिए जो कुछ भी कर सकता हूँ उसे जरूर करूँ मैं हमेशा से जम्मू-कश्मीर के लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए काम करना चाहता था |सरल शब्दों में कहें तो अनुच्छेद 370 और 35 (ए) जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के सामने बड़ी बाधाओं की तरह थे |
ये अनुच्छेद एक अटूट दीवार की तरह थे तथा गरीब,वंचित, दलितों- पिछड़ों-महिलाओं के लिए पीड़ादायक थे | अनुच्छेद 370 और 35(ए) के कारण जम्मू-कश्मीर के लोगों को वह अधिकार और विकास कभी नहीं मिल पाया,जो उनके साथी देशवासियों को मिला | इन अनुच्छेदों के कारण एक ही राष्ट्र के लोगों के बीच दूरियां पैदा हो गईं इस दूरी के कारण, हमारे देश के कई लोग, जो जम्मू-कश्मीर की समस्याओं को हल करने के लिए काम करना चाहते थे ऐसा करने में असमर्थ थे भले ही उन लोगों ने वहां के लोगों के दर्द को स्पष्ट रूप से महसूस किया हो |एक कार्यकर्ता के रूप में जिसने पिछले कई दशकों से इस मुद्दे को करीब से देखा हो वो इस मुझे मुद्दे की बारीकियों और जटिलताओं से भली-भांति परिचित था मैं एक बात को लेकर बिल्कुल स्पष्ट था जम्मू- कश्मीर के लोग विकास चाहते हैं तथा वे अपनी ताकत और कौशल के आधार पर भारत के विकास में योगदान देना चाहते हैं वे अपने बच्चों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता चाहते हैं एक ऐसा जीवन जो हिंसा और अनिश्चितता से मुक्त हो |इस प्रकार,जम्मू-कश्मीर के लोगों की सेवा करते समय, हमने तीन बातों को प्रमुखता दी नागरिकों की चिंताओं को समझना, सरकार के कार्यों के माध्यम से आपसी- विश्वास का निर्माण करना तथा विकास,निरंतर विकास को प्राथमिकता देना |मुझे याद है 2014 में हमारे सत्ता संभालने के तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर में विनाशकारी बाढ़ आई थी जिससे कश्मीर घाटी में बहुत नुकसान हुआ था | सितंबर 2014 में मैं स्थिति का आकलन करने के लिए श्रीनगर गया और पुनर्वास के लिए विशेष सहायता के रूप में 1000 करोड़ रुपये की घोषणा भी की इससे लोगों में ये संदेश भी गया कि संकट के दौरान हमारी सरकार वहां के लोगों की मदद के लिए कितनी संवेदनशील है | मुझे जम्मू-कश्मीर में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से मिलने का अवसर मिला है और इन संवादों में एक बात समान समान रूप से उभरती है लोग न केवल विकास चाहते हैं बल्कि वे दशकों से व्याप्त भ्रष्टाचार से भी मुक्ति चाहते हैं उस साल मैंने जम्मू- कश्मीर में जान गंवाने वाले लोगों की याद में दीपावली नहीं मनाने का फैसला किया मैंने दीपावली के दिन जम्मू-कश्मीर में मौजूद रहने का भी फैसला किया |जम्मू एवं कश्मीर की विकास यात्रा को और मजबूती प्रदान करने के लिए हमने यह तय किया कि हमारी सरकार के मंत्री बार- बार वहां जायेंगे और वहां के लोगों से सीधे संवाद करेंगे इन लगातार दौरों ने भी जम्मू एवं कश्मीर में सद्भावना कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | मई 2014 से मार्च 2019 के दौरान 150 से अधिक मंत्रिस्तरीय दौरे हुए यह अपने आप में एक कीर्तिमान है वर्ष 2015 का विशेष पैकेज जम्मू एवं कश्मीर की विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था इसमें बुनियादी ढांचे के विकास, रोजगार सृजन, पर्यटन को बढ़ावा देने और हस्तशिल्प उद्योग को सहायता प्रदान करने से जुड़ी पहल शामिल थीं |हमने खेल शक्ति में युवाओं के सपनों को साकार करने की क्षमता को पहचानते हुए जम्मू एवं कश्मीर में इसका भरपूर सदुपयोग किया | विभिन्न खेलों के माध्यम से हमने वहां के युवाओं की आकांक्षाओं और उनके भविष्य पर खेलों से जुड़ी गतिविधियों के परिवर्तनकारी प्रभाव को देखा इस दौरान विभिन्न खेल स्थलों का आधुनिकीकरण किया गया प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए और प्रशिक्षक उपलब्ध कराए गए |स्थानीय स्तर पर फुटबॉल क्लबों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाना इन सबमें एक सबसे अनूठी बात रही। इसके परिणाम शानदार निकले | मुझे प्रतिभाशाली फुटबॉल खिलाड़ी अफशां आशिक का नाम याद आ रहा है वो दिसंबर 2014 में श्रीनगर में पथराव करने वाले एक समूह का हिस्सा थी लेकिन सही प्रोत्साहन मिलने पर उसने फुटबॉल की ओर रुख किया उसे प्रशिक्षण के लिए भेजा गया और उसने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया |मुझे ‘फिट इंडिया डायलॉग्स’ के एक कार्यक्रम के दौरान उसके साथ हुई बातचीत याद है जिसमें मैंने कहा था कि अब ‘बेंड इट लाइक बेकहम’ से आगे बढ़ने का समय है क्योंकि अब यह ‘ऐस इट लाइक अफशां’ है मुझे खुशी है कि अब तो अन्य युवाओं ने किक बॉक्सिंग, कराटे और अन्य खेलों में अपनी प्रतिभा दिखानी शुरू कर दी है |पंचायत चुनाव भी इस क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुआ एक बार फिर, हमारे सामने या तो सत्ता में बने रहने या अपने सिद्धांतों पर अटल रहने का विकल्प था | हमारे लिए यह विकल्प कभी भी कठिन नहीं था और हमने सरकार को गंवाने के विकल्प को चुनकर उन आदर्शों को प्राथमिकता दी जिनके पक्ष में हम खड़े हैं जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की आकांक्षाएं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है |पंचायत चुनावों की सफलता ने जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की लोकतांत्रिक प्रकृति को इंगित किया मुझे गांवों के प्रधानों के साथ हुई एक बातचीत याद आती है अन्य मुद्दों के अलावा, मैंने उनसे एक अनुरोध किया कि किसी भी स्थिति में स्कूलों को नहीं जलाया जाना चाहिए और स्कूलों की सुरक्षा की जानी चाहिए मुझे यह देखकर खुशी हुई कि इसका पालन किया गया आखिरकार, अगर स्कूल जलाए जाते हैं तो सबसे ज्यादा नुकसान छोटे बच्चों का होता है |5 अगस्त का ऐतिहासिक दिन हर भारतीय के दिल और दिमाग में बसा हुआ है हमारी संसद ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का ऐतिहासिक निर्णय पारित किया और तब से जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में बहुत कुछ बदलाव आया है | न्यायिक अदालत का फैसला दिसंबर 2023 में आया है लेकिन जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में विकास की गति को देखते हुए जनता की अदालत ने चार साल पहले अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को निरस्त करने के संसद के फैसले का जोरदार समर्थन किया है |राजनीतिक स्तर पर पिछले 4 वर्षों को जमीनी स्तर पर लोकतंत्र में फिर से भरोसा जताने के रूप में देखा जाना चहिये |
महिलाओं, आदिवासियों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और समाज के वंचित वर्गों को उनका हक नहीं मिल रहा था वहीं लद्दाख की आकांक्षाओं को भी पूरी तरह से नजरअंदाज किया जाता था लेकिन 5 अगस्त 2019 ने सब कुछ बदल दिया | सभी केंद्रीय कानून अब बिना किसी डर या पक्षपात के लागू होते हैं प्रतिनिधित्व भी पहले से अधिक व्यापक हो गया है त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली लागू हो गई है बीडीसी चुनाव हुए हैं और शरणार्थी समुदाय जिन्हें लगभग भुला दिया गया था उन्हें भी विकास का लाभ मिलना शुरू हो गया है |केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं ने शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया है ऐसी योजनाओं में समाज के सभी वर्गों को शामिल किया गया है इनमें सौभाग्य और उज्ज्वला योजनाएं शामिल हैं आवास, नल से जल कनेक्शन और वित्तीय समावेशन में प्रगति हुई है लोगों के लिए बड़ी चुनौती रही स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भी बुनियादी ढांचे का विकास किया गया है सभी गांवों ने खुले में शौच से मुक्त- ओडीएफ प्लस का दर्जा प्राप्त कर लिया है |सरकारी रिक्तियां जो कभी भ्रष्टाचार और पक्षपात का शिकार होती थीं पारदर्शी और सही प्रक्रिया के तहत भरी गई हैं |
आईएमआर जैसे अन्य संकेतकों में सुधार दिखा है बुनियादी ढांचे और पर्यटन में बढ़ावा सभी देख सकते हैं इसका श्रेय स्वाभाविक रूप से जम्मू-कश्मीर के लोगों की दृढ़ता को जाता है जिन्होंने बार-बार दिखाया है कि वे केवल विकास चाहते हैं और इस सकारात्मक बदलाव के वाहक बनने के इच्छुक हैं इससे पहले जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की स्थिति पर सवालिया निशान लगा हुआ था | अब, रिकॉर्ड वृद्धि, रिकॉर्ड विकास, पर्यटकों के रिकॉर्ड आगमन के बारे में सुनकर लोगों को सुखद आश्चर्य होता है |सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर के अपने फैसले में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत किया है इसने हमें याद दिलाया कि एकता और सुशासन के लिए साझा प्रतिबद्धता ही हमारी पहचान है ।
आज जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में जन्म लेने वाले प्रत्येक बच्चे को साफ-सुथरा माहौल मिलता है जिसमें वह जीवंत आकांक्षाओं से भरे अपने भविष्य को साकार कर सकता है आज लोगों के सपने बीते समय के मोहताज नहीं बल्कि भविष्य की संभावनाएं हैं जम्मू और, कश्मीर में मोहभंग,निराशा और हताशा की जगह अब विकास, लोकतंत्र और गरिमा ने ले ली है ||