
कछुआ संरक्षण व गंगा स्वच्छता को लेकर बच्चों में जागरूकता, पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन
(रिपोर्ट विरेंद्र प्रताप उपाध्याय)
चौबेपुर (वाराणसी)। विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर शनिवार को गांगेय डॉल्फिन केन्द्र, ढाका स्थित समग्र गंगा ज्ञान केन्द्र में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अगुवाई डॉल्फिन मित्र प्रीति कुमारी साहनी ने की। उन्होंने उपस्थित ग्रामीणों व बच्चों को कछुओं की जैविक भूमिका, संरक्षण की आवश्यकता और गंगा की पारिस्थितिकी में इनके महत्व के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
प्रीति कुमारी ने बताया कि गंगा नदी में वर्तमान में लगभग 13 प्रकार के कछुए पाए जाते हैं, जिन्हें ‘पानी का गिद्ध’ कहा जाता है। ये गंगा की सफाई व पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह गंगा में डॉल्फिन की संख्या बढ़ी है, उसी प्रकार जनजागरूकता से कछुओं की उपस्थिति भी फिर से दिखाई दे रही है।
कार्यक्रम में बच्चों के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें कछुआ, डॉल्फिन व स्वच्छता अभियान पर चित्र बनाए गए। इस दौरान बाल गंगा प्रहरी व ग्रामीण बच्चों ने भाग लिया।
प्रीति ने कछुए को भगवान विष्णु के कूर्म अवतार से जोड़ते हुए इसकी सांस्कृतिक व धार्मिक महत्ता को भी समझाया। उन्होंने बताया कि कछुआ दीर्घायु, धैर्य और संरक्षण का प्रतीक माना जाता है।
कार्यक्रम में गंगा प्रहरी जितेन्द्र निषाद, बाल गंगा प्रहरी आदित्य, प्रतीक, गंगेश, आनन्दी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मछुआरे उपस्थित रहे। सभी से अपील की गई कि यदि कोई जलीय जीव घायलावस्था में दिखे तो तत्काल वन विभाग को सूचना दें।
कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा की जैव विविधता, खासकर कछुओं के संरक्षण और स्वच्छता के प्रति जनमानस में जागरूकता फैलाना रहा।