
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत एवं मंचकला संकाय के कौस्तुभ जयन्ती समारोह वर्ष के तहत संगीतशास्त्र विभाग द्वारा विदुषी प्रेमलता शर्मा व्याख्यान श्रृंखला का किया गया उद्घाटन
(रिपोर्ट : संतोष कुमार सिंह )
वाराणसी :- काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत एवं मंचकला संकाय के कौस्तुभ जयन्ती समारोह वर्ष के तहत,देश के विशिष्ट विद्वानों के वर्ष पर्यन्त व्याख्यान के क्रम में संगीतशास्त्र विभाग द्वारा विदुषी प्रेमलता शर्मा व्याख्यान श्रृंखला का उद्घाटन किया गया | इस श्रृंखला के पहले सोपान मे 24 सितम्बर मंगलवार को वाराणसी ही नहीं,वरन देश के ख्यातिलब्ध संगीतशास्त्रज्ञ डॉ० आदिनाथ उपाध्याय का व्याख्यान,संकाय के पंडित ओंकारनाथ ठाकुर सभागृह में सम्पन्न हुआ | आपने संगीत में शास्त्र पक्ष की महत्ता को रेखांकित करते हुए बीएचयू संगीत महाविद्यालय के संस्थापक पंडित ओमकारनाथ ठाकुर की शिष्या,विदुषी प्रेमलता शर्मा जी के जीवन से जुड़े हुए रोचक प्रसंगों को सुनाया | संगीत के प्रयोग के विषय में कुछ भी कहना,लिखना, विचारणा ही संगीतशास्त्र है ऐसा आपने उदाहरणों द्वारा समझाया |
एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रख्यात कथक गुरु,पंडित बिरजू महाराज जिस ट्रेन से लखनऊ से कोलकाता जा रहे थे उसी ट्रेन में प्रो प्रेमलता शर्मा अपने शिष्य डा. आदिनाथ उपाध्याय के साथ वाराणसी से कोलकाता जाने के लिए सवार हुईं रास्ते भर,संगीत रत्नाकर के नर्तन अध्याय पर चर्चा होती रही | पंडित बिरजू महाराज ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया कि संगीत के शिक्षक एवं विद्यार्थी – दोनों के लिए ही संगीत शास्त्र का अध्ययन,अत्यंत अनिवार्य है |
डा.आदिनाथ उपाध्याय ने बताया कि प्रोफेसर प्रेमलता शर्मा जी केवल संगीतशास्त्रविद ही नहीं थीं बल्कि गौ, गंगा और गायत्री के प्रति भी उनका पूर्ण समर्पण और सेवा भाव था |
कार्यक्रम के आरंभ में प्रतिमा-त्रय (माँ सरस्वती,पंडित मदन मोहन मालवीय एवं पंडित ओमकारनाथ ठाकुर) के माल्यार्पण के उपरान्त संकाय प्रमुख प्रो० संगीता पंडित ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया | तत्पश्चात् 83 वर्षीय डॉ० आदिनाथ उपाध्याय के संगीत के क्षेत्र में योगदान को देखते हुए संकाय प्रमुख प्रो० संगीता पंडित, वाद्य विभागाध्यक्ष प्रो० बिरेन्द्र नाथ मिश्र तथा आयोजन सचिव प्रो० प्रवीण उद्धव द्वारा आपको “कौस्तुभ कला रत्न सम्मान” से विभूषित किया गया |
संगीतशास्त्र विभाग के डॉ० शुभंकर दे ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कार्यक्रम का कुशल संचालन,कृष्ण कुमार उपाध्याय ने किया ||