
समाज में नारी का स्थान भगवती के समान माना जाता हैं और एक कन्या दस पुत्रों के समान होती है – आयुष कृष्ण नयन जी महाराज
(रिपोर्ट संतोष कुमार सिंह)
वाराणसी:- शतचंडी महायज्ञ व शिव महापुराण के सातवें दिन बुधवार को मां पार्वती व शिव के हजारों की जनसंख्या में मां अष्टभुजा मंदिर व रामलीला मैदान में भक्त मौजूद रहे | शतचंडी महायज्ञ करने विशेषता याज्ञाचार्य पंडित हरीकेश पाण्डेय ने बताया कि मां ने महाकाली के रूप में राक्षसों का संहार कैसे किया जिसका वर्णन मार्कंडेय पुराण में श्री दुर्गा सप्तशती नामक ग्रंथ में वर्णित है | श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ को 108 बार निरन्तर करने पर शतचंडीपाठ महायज्ञ होता हैं और पाठ को 1000 बार करने को सहस्रचंडी महायज्ञ कहा जाता है ग्रंथों के अनुसार उससे अधिक बार पाठ को जैसे एक लाख बार करने पर लक्ष्यचंडी महायज्ञ कहा जाता हैं |
शिव महापुराण के सप्तमी दिवस को बालव्यास आयुष कृष्ण नयन जी महाराज ने कथा में शिव पार्वती जी के विवाह सम्पन्न होने के उपरांत पार्वती जी की विदाई की कथा श्रवण करवाया | आम जनमानस को संबोधित करते हुए कहा कि एक कन्या का जीवन कैसा होता है उसके जीवन का एक भाग पिता के यहां तथा एक भाग पति के यहां व्यतीत करना पड़ता है | समाज में नारी का स्थान भगवती के समान माना जाता हैं और एक कन्या दस पुत्रों के समान होती है | महाभारत में भगवान वेदव्यास कहते हैं कि दश पुत्र समा कन्या इसलिए कन्या साक्षात भगवती का स्वरूप होती हैं समाज में कन्याओं को नारियों को सम्मान मिलना चाहिए | कथा सुनाते हुए आयुष कृष्ण नयन जी महाराज आगे की कथा में कार्तिकेय के जन्म की कथा सुनाइ एवं गणेश जी की मातृ पितृ भक्त का वर्णन किया ||