
(सन्तोष कुमार सिंह )
वाराणसी :- बनारस रंग महोत्सव की तृतीय संध्या की शुरुआत शोभनाथ जी द्वारा कठपुतली के माध्यम से कजरी नृत्य , कजरी गायन तत्पश्चात कठपुतली के माध्यम से मुंशी प्रेम द्वारा रचित पंच परमेश्वर की कहानी दिखाई गयी |
पंच परमेश्वर उनके द्वारा लिखी पहली कहानी है इस कहानी में दो मित्रों जुम्मन शेख और अलगू चौधरी को मित्रता और शत्रुता की पृष्ठभूमि को आधार बनाकर पौराणिक सामाजिक न्याय व्यवस्था पंचैती में पंत के पद की मार्यदा, गरिमा और प्रतिष्ठा का जीवंत और नैसर्गिक सिद्ध करने का प्रयास किया है ।
इस कठपुतली द्वारा दिखाई गई कहानी से कलाकारों ने न्यायाधीश या पांचों के अंदर न्याय करने की शक्ति को ईश्वरीय बताकर न्याय की महत्ता लोगो को समझाई और सच्चाई के रास्ते पर चलने की सिख देता है जिसके बाद राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय सिक्किम रंगमंडल द्वारा भास भरतम नाटक की प्रस्तुति हुई जिसमे चरण और भट्ट के माध्यम से नाटक की कथावस्तु को प्रेक्षकों तक पहुंचाया गया |
चरण और भट्ट भारतीय नाट्यपद्द के सबसे प्राचीन कथावाचक में से एक है ये नाटक महाकवि भास के चार महान नाटकों का एक सम्मिश्रण था इसमें पंचरात्रम जो कि महाभारत में पांडवो के अज्ञातवास के वक्त गुरु द्रोण द्वारा दुर्योधन से गुरुदक्षिणा के रूप में पांडवो को उनके हिस्से का राज्य उन्हें लौटने की मांग को दर्शाता है |
निर्देशक ने नाटक की कथा को कथावाचकों के माध्यम से बीच में ही रुकवाकर महाकवि भास की लेखन शैली को वेद व्यास के मूल महाभारत की कथा को अपने अनुसार नाटक में परिवर्तित कर देने पर सवाल खड़े किए क्युकी मूल नाटक में भास ने द्रोणाचार्य द्वारा मांगे गए गुरु दक्षिणा को शकुनी के प्रयासों को विफल करते हुए दुर्योधन द्वारा पांडवो को उनका राज्य लौटा देना दर्शाया है इसी कड़ी में सूत्रधार नाटक को आगे बढ़ाते हुए कर्ण भारम नाटक जिसमे कुंती द्वारा कर्ण को अर्जुन से युद्ध के पूर्व अपना पुत्र एवं पांडवो का जेष्ठ भाई होने की बात से अवगत कराया |तत्पश्चात नाटक दूत्वकायम एवं उरूभंगम जिसमे दुर्वोधन की जांघ पर भीम के प्रहार के माध्यम से धर्म अधर्म का पाठ दर्शाया गया |
नाटक के अंत में सूत्रधारों ने पुनः भास की रचनाशैली पर प्रश्न उठाए तथा स्वयं ही उसका उत्तर देते हुए दर्शकों को ये बतलाया कि भास अपनी रचना में बार बार महाभारत के युद्ध को रोकने का प्रयास दर्शाते हुए दर्शकों को प्रलयंकारी युद्ध से विमुख रखने का प्रयास करते है ये नाटक भारत मुनि द्वारा लिखित नाट्यशाष्ट्रीय शैली पर आधारित है इस नाटक का नाट्यरूपांतरण आसिफ अली तथा निर्देशन पियाल भट्टाचार्य ने किया |
सूत्रधार की भूमिका में तिला रूपा , सुकन्या , चंद्रिका थी दुर्योधन की भूमिका में सत्यम , कृष्ण की भूमिका में दीपक , कर्ण को भूमिका में आदर्श तथा अन्य में श्यामा , तुषार , रंजना , उत्तम , एवम आदि थे | राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय सिक्किम रंगमंडल विशेष रूप से बनारस रंग महोत्सव में अपनी प्रस्तुति देने के लिए सिक्किम से आई थी महोत्सव निदेशक गुंजन शुक्ला ने रंगमंडल का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर किया |
इस मौके पर भारत के प्रख्यात रंगकर्मी संजय उपाध्याय ,प्रवीण कुमार तथा संस्कार भारती काशी प्रांत के संगठन मंत्री दीपक शर्मा मौजूद थे आज इसी कड़ी में बनारस रंग महोत्सव के चौथे दिन बनारस की प्राचीनतम संस्था श्री नागरी नाटक मंडली न्यास अपना नाटक डेढ़ इंच ऊपर प्रस्तुत करेगी जिसमे बनारस के वरिष्ठ रंगकर्मी डा संजय मेहता स्वयं अभिनय करेंगे ||