
गृहे-गृहे संस्कृतम् योजना सभी भारतीयों को संस्कृत के प्रति आकर्षित करती है
वाराणसी – उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा संचालित गृहे गृहे संस्कृतम् योजना के अंतर्गत सितम्बर मासीय बारह दिवसीय संस्कृत शिक्षण शिविर केंद्रों का उद्घाटन आभाषिक पटल पर सम्पन्न हुआ। यह प्रशिक्षण दिनांक 11सितम्बर से 26 सितम्बर 2024 तक चलेगा। जिसमें प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 50 प्रशिक्षक सरल संस्कृत भाषा शिक्षण कक्षा का संचालन करेंगे। प्रशासनिक अधिकारी जगदानंद झा ने कहा कि गृहे-गृहे संस्कृतम् योजना सभी भारतीयों को संस्कृत भाषा के प्रति आकर्षित कर रही है, और छात्रों को संस्कृत पढ़ने के लिए प्रेरणादायी सिद्ध हो रही है। उन्होने बताया कि सभी प्रशिक्षक अपने-अपने केन्द्रो पर पाठनकौशल के साथ-साथ संस्कृतमय वातावरण का निर्माण कर छात्रों को संस्कृत का ज्ञान करायें। यह योजना संस्कृत भाषा में व्यवहारिकता प्रदान करने में कारगर सिद्ध हो रही है, अतः जहां भौतिक कक्षाएं आयोजित हो रहीं हैं, समाज के सभी लोगों को लाभ उठाना चाहिए। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की विशिष्ट योजना है, जिसके द्वारा जनपद ही नही ग्रामीण स्तर पर संचालित होकर पूरे प्रदेश में संस्कृत का प्रचार प्रसार हो रहा है। सरल सस्कृत भाषा का प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरान्त सतत् अभ्याास अपेक्षित है। जिससे व्यवहारिक रूप से संस्कृत भाषा का परिमार्जन होता रहे।
योजनाप्रमुख श्री भगवान् सिंह चौहान ने सभी अतिथियों का हार्दिक धन्यवाद देते हुए कहा कि गृहे-गृहे संस्कृतम् योजना संस्थान की महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजना है। जिसके ध्वजवाहक आप सभी प्रशिक्षकगण हैं। यह योजना संस्थान के यशस्वी निदेशक जी के आत्मबल और दृढ़ इच्छा से अनवरत गतिमान हो रही है। संस्कृत भाषा संस्कृति के प्रति नवचेतना का संचार करती है। मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि आप सभी प्रशिक्षक पूर्ण मनोयोग से सरल संस्कृत भाषा शिक्षण कक्षा का संचालन करेंगे।
ऑनलाइन समन्वयक श्री दिव्यरंजन जी ने योजना का विषयोपस्थापन किया। उन्होने कहा कि इस योजना से संस्कृत को सीखे ही नहीं अपितु इसे आचरण में लाने की महती आवश्यकता है। भारत की संस्कृति की सार्थकता संस्कृत भाषा में ही नीहित है। प्रशिक्षण प्रमुख श्री धीरज मैठानी ने कहा कि जितने भी छात्र गृहे-गृहे संस्कृतम् योजना से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं वे सभी ऑनलाइन कक्षा में अवश्य जुड़े जिससे भाषा अभ्यास की तारतम्यता बनी रहे। योजना के प्रदेश समन्वयक डॉ0 अनिल गौतम ने समागतों का स्वागत करते प्रस्ताविक का उपस्थापन किया। उद्घाटन-सत्र में कार्यलय के कर्मचारी श्री दिनेश मिश्र, श्री महेन्द्र पाठक, श्री नितेश श्रीवास्तव, श्रीमती पूनम मिश्रा, श्री ऋषभ पाठक, श्री शान्तनु मिश्र, श्री शिवम गुप्ता आदि मौजूद रहें। समन्वयकों में श्रीमती राधा शर्मा, श्री दिव्यरंजन सहित ओनलाइन संभाषण योजना के प्रशिक्षक उपस्थित रहें। मंच संचालन आनलाइन समन्वयिका कुशल संचालिका सुश्री राधा शर्मा जी ने किया । कार्यक्रम का आरम्भ वैदिक मंगलाचरण से हुआ जिसका वाचन शिक्षक श्री दीपकचन्द्र भट्ट ने किया। सरस्वती वन्दना शिक्षिका सुरभि चौधरी ने किया। संस्थान गीतिका शिक्षिका संध्या गुप्ता जी ने प्रस्तुत किया। शिक्षिका शिवा यादव ने शान्तिमंन्त्र के द्वारा कार्यक्रम का समापन किया।
इस अवसर पर वाराणसी जनपद के श्री स्वामी करपात्री वेद शास्त्रानुसंधान केन्द्र, दुर्गाकुण्ड विद्यालय में प्रधानाध्यापक जगजीतन पाण्डेय ने दीप प्रज्वलित कर तथा सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण द्वारा कक्षाओं का शुभारंभ किया। उद्घाटन-सत्र में प्रधानाचार्य सहित सभी शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं समुपस्थित रहे। केंद्र संचालन संस्थान के शिक्षक दीपक चन्द्र भट्ट ने किया। इस अवसर पर विद्यालय के कर्मचारी एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे ।