
समग्र राष्ट्र में अध्यात्म-विद्या का अलख जगाते हुवे
(विरेंद्र प्रताप उपाध्याय)
चौबेपुर (वाराणसी) सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज के पावन सान्निध्य में 7 जुलाई को कन्याकुमारी से प्रारंभ हुई राष्ट्रव्यापी संकल्प यात्रा 18 नवंबर को कश्मीर में देश की सेवा में तैनात प्रहरियों (सैनिकों/पुलिसबल) के मध्य विहंगम योग ध्यान-साधना सत्र के साथ संपन्न हुई।
जम्मू में 16 नवंबर को कार्यक्रम संपन्न करने के बाद कश्मीर में 17 नवंबर को 61 BN CRPF, श्रीनगर तथा 18 नवंबर को PTS, मणिगम के सुरक्षा बल-पुलिसबल के बीच बड़े ही मनोहर वातावरण में सफलता के साथ कार्यक्रम संपादित हुआ। दोनों सत्रों में सर्वप्रथम सेना के जवानों, अधिकारियों ने संत प्रवर श्री का स्वागत पुष्पगुच्छ के साथ किया। और कश्मीरी टोपी प्रेमपूर्वक भेंट कर हार्दिक अभिनंदन किया। वहीं सीआरपीएफ के बटालियन की ओर से जहां संत प्रवर श्री को ससम्मान विशिष्ट मोमेंटो भेंट किया गया, वहीं पीटीएस की यूनिट ने संत प्रवर श्री को कश्मीर शॉल ओढ़ाकर अपना आदर–प्रेम प्रकट किया।
सैनिकों के बीच आकर संत प्रवर श्री ने कहा कि कश्मीर भारत देश का मुकुट है। और इस मुकुट की, इस शीर्ष भाग की रक्षा के लिये। समर्पित सेना के जवान तमाम असुविधाओं और विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर डटकर पूरे देश को सुरक्षा और साहस प्रदान करते हैं। संत प्रवर श्री ने सभी सैनिकों की सेवा भावना को नमन किया और विहंगम योग की ध्यान साधना का बहुआयामी महत्व अपनी दिव्य वाणी में स्पष्ट करते हुए उन्हें ध्यान-साधना का अभ्यास करवाया।
संत प्रवर श्री ने कहा कि कश्मीर में सेना के जवानों के बीच आए बिना यह राष्ट्रव्यापी संकल्प यात्रा पूरी नहीं हो सकती थी और यहीं आकर यात्रा विराम ले रही है। यह एक पूर्णता का द्योतक है।
अनेक सैनिकों अधिकारियों का उत्साहवर्धन करने हेतु मंच से संत प्रवर श्री ने उन्हें मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया। सत्र में जहांँ। देशभक्ति के गीत भी गूंँजे वहीं सत्र का प्रारंभ और समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
सत्र के समापन होने पर संत प्रवर श्री ने स्वयं अपने हस्तकमल से सैनिकों के बीच जाकर उन्हें प्रसाद दिया।
संत प्रवर श्री के शुभागमन और उनकी दिव्य वाणी में सेना के सम्मान लिए हुए कहे गए वचनों से सभी जवानों में एक विशेष उत्साह का संचार होने लगा।
34, 763 कि०मी० की कुल दूरी सड़क मार्ग से तय कर राष्ट्रव्यापी संकल्प यात्रा (कन्याकुमारी से कश्मीर तक) 18 नवंबर की संध्या को श्रीनगर, कश्मीर से स्वर्वेद महामंदिर धाम, वाराणसी के लिए प्रस्थान कर गई जहां 6-7 दिसंबर को होने जा रहे विहंगम योग संत समाज के शताब्दी समारोह महोत्सव की बड़े जोर-शोर से तैयारी चल रही है। जय स्वर्वेद कथा।जय संकल्प यात्रा।