
संस्कृत विद्या कार्यशाला का हुआ उद्घाटन
वाराणसी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र मीमांसा विभाग द्वारा आज संस्कृत विद्या कार्यशाला का उद्घाटन समारोह आयोजित हुआ। यह कार्यशाला दस दिनों तक चलेगी। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता संकाय प्रमुख प्रोफेसर राजाराम शुक्ल ने की और मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथियों का स्वागत तथा विषय प्रवर्तन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर माधव जनार्दन रटाटे ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर शंकर कुमार मिश्र ने दिया। कार्यशाला का संचालन डॉक्टर श्रीराम ए एस ने किया।
इस अवसर पर कार्यशाला के अध्यापक श्री अंबुज मिश्र और श्री प्रशांत चतुर्वेदी का सम्मान किया गया, साथ ही संकाय के समस्त विद्वानों का भी सम्मान हुआ। प्रोफेसर राजाराम शुक्ल ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह कार्यशाला परीक्षार्थियों के लिए ही नहीं, बल्कि शास्त्र के जिज्ञासुओं के लिए भी अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा ने अपने भाषण में कहा कि संस्कृत के सभी शास्त्रों का आपस में गहरा संबंध है। वेद, पुराण, वेदांग आदि सभी शास्त्र एक दूसरे के पूरक होते हैं और इस कार्यशाला में इन सभी विषयों का सम्यक प्रस्तुतीकरण किया जाएगा।
इस अवसर पर प्रोफेसर गिरजा शंकर शास्त्री, प्रो हरीश्वर दीक्षित, पतंजलि मिश्र, रमाकांत पांडेय, बृजभूषण ओझा, सुनील कात्यायन, नारायण प्रसाद भट्टराई, उदय प्रताप भारती, उपेंद्र त्रिपाठी, श्यामानंद मिश्र, सुरेश चन्द्र ब्रह्मा, विनय कुमार पांडेय, रामजीवन मिश्र, सुशील गुप्ता, आनन्द कुमार जैन, शीतला प्रसाद पांडेय, प्रद्युम्न शाह सिंह, शैलेन्द्र साहू, कृष्णानन्द सिंह, ज्ञानदान सहित अन्य विद्वान उपस्थित थे।