
रमज़ान की पाक महीना और मासूम का पहला इबादती कदम
वाराणसी, 3 मार्च: रमज़ान के मुबारक महीने का आगाज़ होते ही दुनियाभर में मुसलमान इबादतों में मशगूल हो जाते हैं। इसी बीच वाराणसी की रहने वाली आठ साल की मासूम आएसा नूर ने अपना पहला रोज़ा रखकर अपने परिवार और समाज के लिए मिसाल पेश की है।
आएसा के पहले रोज़े पर परिवार में जश्न और खुशी का माहौल है। माता-पिता, रिश्तेदार और मोहल्ले के लोग उसे दुआएं दे रहे हैं। परिवार ने पूरे धार्मिक उत्साह के साथ इफ़्तार की खास तैयारी की, जिसमें तरह-तरह के पकवान शामिल थे।
रमज़ान: इबादत और बरकतों का महीना
रमज़ान का महीना मुसलमानों के लिए सबसे पाक महीना माना जाता है। इस दौरान रोज़ा रखना, नमाज़ अदा करना, तरावीह पढ़ना, कुरआन की तिलावत करना और ज़िक्र-ओ-दुआ में वक़्त गुजारना इसकी खासियतें हैं।
रमज़ान के तीन अशरे और उनकी अहमियत
1️⃣ पहला अशरा (रहमत का) – पहले दस दिन अल्लाह की रहमतें नाज़िल होती हैं। यह वक्त दुआओं की क़ुबूलियत का होता है।
2️⃣ दूसरा अशरा (मग़फिरत का) – अगले दस दिन अल्लाह अपने बंदों के गुनाहों को माफ करता है। यह तौबा और माफी मांगने का समय है।
3️⃣ तीसरा अशरा (जहन्नम से छुटकारे का) – आखिरी दस दिन जहन्नम से आज़ादी पाने का ज़रिया होते हैं।
परिवार की प्रतिक्रिया
आएसा की माँ ने बताया, “हमारी बेटी ने खुद अपनी मर्ज़ी से रोज़ा रखने की इच्छा जताई थी। हमने सोचा कि अभी वह छोटी है, लेकिन उसकी लगन देखकर हमने उसका हौसला बढ़ाया।”
पिता ने कहा, “हम बहुत खुश हैं कि हमारी बेटी इतनी छोटी उम्र में इबादत के लिए आगे बढ़ रही है। हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि वह इसे कामयाबी और नेक रास्ते पर बनाए रखे।”
मासूम आएसा के लिए दुआएं
मोहल्ले के लोग आएसा की हिम्मत और धार्मिक उत्साह की सराहना कर रहे हैं। सभी उसे दुआएं दे रहे हैं कि अल्लाह उसे और उसके परिवार को बरकतों से नवाजे।
रमज़ान की पाक महीना इसी तरह छोटे-बड़े सभी के लिए इबादत, रहमत और मग़फिरत का ज़रिया बना रहे, यही दुआ है।