
युवा पीढ़ी पारंपरिक मूल्यों से दूर हो रही: विद्वानों की चिंता
(रिपोर्ट विरेंद्र प्रताप उपाध्याय)
वाराणसी । शिक्षा और आधुनिकता के बढ़ते प्रभाव के कारण युवा पीढ़ी पारंपरिक मूल्यों और संयुक्त परिवार की संरचना से दूर होती जा रही है, जिससे परिवारों का विघटन तेज़ी से बढ़ रहा है। इस ज्वलंत विषय पर बीएन जुयाल एजुकेशनल फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का शुभारंभ ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं शिक्षाविद् डॉ. अंबिका प्रसाद गौड़ के स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने इस सामाजिक समस्या पर गहरी चिंता व्यक्त की।
वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार डॉ. अत्रि भारद्वाज ने विषय प्रवर्तन करते हुए परिवारों के टूटने के कारणों की ओर ध्यान आकर्षित किया। जेएनयू के प्रोफेसर रामवृक्ष जाट ने कहा कि परिवार के मुखिया का दकियानूसी सोच और आधुनिकता के प्रति नकारात्मक रवैया भी परिवार विघटन का एक महत्वपूर्ण कारण बन सकता है।
पीजी कॉलेज, कानपुर की प्राचार्या डॉ. गीता अस्थाना ने कहा कि बढ़ती महंगाई और बढ़ती इच्छाएं परिवार के सदस्यों में तनाव उत्पन्न करती हैं, जिससे परिवार टूटने लगते हैं। वहीं, देहरादून के प्रोफेसर रामविनय सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आजकल शिक्षित युवा बेहतर अवसरों की तलाश में विदेश चले जाते हैं, जिससे परिवार बिखरने लगते हैं।
हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत सिंह ने नगरीकरण को भी परिवार विघटन का एक बड़ा कारण बताया। दिल्ली विश्वविद्यालय की शोध छात्रा दीपशिखा ने परस्पर संवादहीनता को इस समस्या की जड़ बताया।अंत में डॉ. देवेंद्र कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम को संपन्न किया।