
गंगा नदी में मत्स्य संरक्षण हेतु सिफरी द्वारा छोड़े गए 15 हजार मछली बीज
प्रयागराज।गंगा की स्वच्छता व जैव विविधता को बनाए रखने के लिए भारतीय अंतःस्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी), प्रयागराज द्वारा एक अहम कदम उठाया गया। सोमवार को सिफरी द्वारा पवित्र संगम तट पर गंगा नदी में भारतीय प्रमुख कार्प प्रजातियों—कतला, रोहू और मृगल—की 15,000 मछलियों के बीज छोड़े गए।
यह रैंचिंग कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के अंतर्गत नमामि गंगे परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य गंगा नदी में घटती जा रही जलीय जैव विविधता को पुनः स्थापित करना और लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। कार्यक्रम में संस्थान के केंद्राध्यक्ष डॉ. डी. एन. झा ने नमामि गंगे के उद्देश्यों व गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नदी की स्वच्छता के लिए उसमें जीवित जैविक तंत्र का होना अत्यंत आवश्यक है।
समारोह को संबोधित करते हुए संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अबसार आलम ने गंगा में मछलियों के महत्व और रैंचिंग की भूमिका पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कर्नल अरविंद प्रसाद एस (गंगा टास्क फोर्स, प्रयागराज) ने भी गंगा की पवित्रता और जैविक महत्व पर बल देते हुए लोगों से इसे स्वच्छ बनाए रखने का आह्वान किया।
विशिष्ट अतिथि श्री नीरज त्रिपाठी, पूर्व अपर महाधिवक्ता, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी गंगा और उसमें रहने वाले जलजीवों के संरक्षण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। श्री राजेश शर्मा, संयोजक गंगा विचार मंच (जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार) ने उपस्थित लोगों को गंगा स्वच्छता की शपथ दिलाई।
कार्यक्रम में गंगा विचार मंच, गंगा टास्क फोर्स, माँ गंगा सेवा समिति, गंगा प्रहरी, स्थानीय मत्स्यपालक, व्यवसायी व ग्रामीणों की उत्साहपूर्ण भागीदारी रही। संगम तट पर आए स्नानार्थियों और मछुआरों ने भी गंगा के प्रति अपनी जागरूकता और प्रतिबद्धता व्यक्त की।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. वेंकटेश ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आशा जताई कि यह प्रयास गंगा की जैविक समृद्धि को पुनः प्राप्त करने की दिशा में सार्थक सिद्ध होगा।