
तीसरे दिन भी जारी रहा विरोध, कर्मचारियों ने तीनों विकल्पों को किया खारिज
वाराणसी ।वाराणसी में बिजली कर्मचारियों ने बिजली व्यवस्था के निजीकरण के खिलाफ शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय पर आयोजित विरोध सभा में बड़ी संख्या में जुटे बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ एक स्वर में अपनी असहमति जताई। इस आंदोलन का आयोजन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश, वाराणसी के बैनर तले किया गया।
विरोध सभा को संबोधित करते हुए अभियंता संघ के प्रदेश महासचिव ई. जितेन्द्र सिंह गुर्जर ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों का निजीकरण ऊर्जा प्रबंधन की हठधर्मिता का परिणाम है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि वे इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए निजीकरण की प्रक्रिया को तुरंत रद्द कराएं। गुर्जर ने कहा कि जब कर्मचारियों से निजीकरण के लिए तीन विकल्पों पर राय मांगी गई, तो सभी कर्मचारियों ने एक स्वर में तीनों विकल्पों को अस्वीकार कर दिया।
संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी महेंद्र राय ने कहा कि बिजली कर्मचारी उपभोक्ताओं को गर्मी में कोई परेशानी नहीं देना चाहते, इसलिए शांतिपूर्वक ध्यान आकर्षण आंदोलन चला रहे हैं। लेकिन प्रबंधन इस आंदोलन को हड़ताल का नाम देकर कर्मचारियों को डराने और उत्पीड़ित करने की कोशिश कर रहा है।
राज्य विद्युत प्राविधिक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सी. बी. उपाध्याय ने कहा कि कर्मचारियों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर पूरा भरोसा है। उनके नेतृत्व में 2017 से लेकर 2024 तक एटी एंड सी हानियों में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों के हित में पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन झूठे आंकड़े पेश कर निजीकरण को बढ़ावा दे रहा है और टकराव का माहौल बना रहा है।
संघर्ष समिति ने दोहराया कि यदि मुख्यमंत्री प्रभावी हस्तक्षेप कर निजीकरण प्रक्रिया को निरस्त कराते हैं, तो बिजलीकर्मी प्रदेश की बिजली व्यवस्था को और अधिक मनोयोग से सुदृढ़ करने में जुट जाएंगे।
मुख्य मांगें: निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल रोकी जाए, तीनों प्रस्तावित विकल्पों को रद्द किया जाए, कर्मचारियों पर, उत्पीड़नात्मक कार्रवाई बंद हो, मुख्यमंत्री स्वयं करें हस्तक्षेप
तीसरे दिन भी बिजलीकर्मियों का प्रदर्शन तीन घंटे तक जारी रहा, जिसमें उत्साहपूर्वक भागीदारी देखने को मिली।