
राष्ट्रीय बालिका दिवस बच्चों के बचपन को बचाना है तो बाल विवाह को जड़ से मिटाना है।
वाराणसी – चोलापुर क्षेत्र के गौरा उपरवार, जरियारी, डुढुवा, टीसौरा, बंतरी, ताड़ी, रौना कला में राष्ट्रीय बालिका दिवस के दूसरे दिन वात्सल्य (फावा ग्रुप) लखनऊ और लोक चेतना समिति के सहयोग से महिलाओं की कोरिया के साथ हो रहे घटना पर चर्चा।
कहानी के माध्यम से समझाया गया व बाल विवाह उसके दुष्परिणाम बाल विवाह कानून एवं दंड, बचपन में विवाह करने का कारण गरीबी, शिक्षा एवं जानकारी का अभाव, सामाजिक दबाव, व देश में पांच राज्यों में बाल विवाह सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में होता है जिसे हमें जड़ से ख़त्म करना है।
बाल विवाह होने के कारण लड़कियों को शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना, घरेलु हिंसा, बीमारीयों का सामना करना पड़ता है व कई बार ऐसा हो जाता है कि लड़कियों को मार दिया जाता है या वे खुद आत्महत्या करने को विवश हो जाती हैं।
इसलिए लड़किया ज्यादा से ज्यादा शिक्षा ग्रहण करे वह लड़कियां 18 वर्ष पूर्ण होने व लड़के 21 वर्ष पूर्ण होने व अपने पैर पर होने पर ही विवाह करें व महिलाओं को आत्महत्या करने एवं उनके साथ हिंसा होने से रोकें।