
भृगु क्षेत्र बलिया में सर्वदेव वासिनी गौशाले का शिलान्यास, स्वामी श्री धनुष दास जी महाराज ने किया भूमि पूजन
भृगु क्षेत्र, बलिया – परम पूज्य गंगा पुत्र स्वामी श्री धनुष दास जी महाराज के कर कमलों द्वारा आज भृगु क्षेत्र बलिया में सर्वदेव वासिनी गौशाले का भव्य शिलान्यास एवं भूमि पूजन समारोह वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ संपन्न हुआ। इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष और पूर्व कुलपति बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने मुख्य अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
इस अवसर पर जगद्गुरु रामानुजाचार्य भृगु क्षेत्र स्वामी जयकांताचार्य जी महाराज एवं श्री बजरंग शरण दास जी महाराज (महंत दयानिधि धाम काशी) की पावन उपस्थिति भी रही, जिन्होंने इस शुभ अवसर पर आशीर्वाद प्रदान किया।
समारोह की शुरुआत वैदिक ब्राह्मणों द्वारा किए गए मंत्रोच्चारण से हुई, जिसके बाद स्वामी श्री धनुष दास जी महाराज ने गौशाले के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया। इस गौशाला का उद्देश्य न केवल गौ माता के पालन और संरक्षण को बढ़ावा देना है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपराओं और धर्म के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने का भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
समारोह में श्रद्धालुओं और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी, जिन्होंने इस धार्मिक आयोजन का हिस्सा बनकर आशीर्वाद प्राप्त किया। स्वामी श्री धनुष दास जी महाराज ने इस अवसर पर गौ माता के प्रति श्रद्धा और सम्मान की भावना को बढ़ाने का आह्वान किया और कहा कि गौ माता के बिना जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है, इसलिए हमें उन्हें सम्मान देना और उनकी देखभाल करना हमारा परम कर्तव्य है।
समारोह में विशेष रूप से उपस्थित प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने गौशाला के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह कदम समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाएगा और गौ पालन के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने में सहायक होगा।
स्वामी जयकांताचार्य जी महाराज ने भी गौ माता की महिमा का वर्णन किया और कहा कि गौशाला का निर्माण एक महान कार्य है, जो समाज को जागरूक करेगा और गौ संरक्षण को प्रोत्साहित करेगा।
कार्यक्रम के अंत में श्री बजरंग शरण दास जी महाराज ने गौशाला के शिलान्यास के लिए आशीर्वाद प्रदान किया और सभी भक्तों से गौ माता की सेवा में अपना योगदान देने की अपील की।
इस महत्वपूर्ण आयोजन में स्थानीय जनप्रतिनिधि, भक्तगण और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे, जिन्होंने इस पवित्र कार्य को सफल बनाने में योगदान दिया।