
विश्व जल दिवस और ‘अर्थ ऑवर’ पर गंगा में डॉलफिन सफारी का शुभारंभ, जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित
चौबेपुर (वाराणसी)। विश्व जल दिवस और ‘अर्थ ऑवर’ (22 मार्च) के अवसर पर वाराणसी के ढकवां घाट पर वन विभाग द्वारा डॉलफिन सफारी का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर जनजागरूकता कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य जल और ऊर्जा के महत्व को समझाना और इनके संरक्षण के लिए लोगों को प्रेरित करना था।
कार्यक्रम का उद्घाटन और उद्देश्य: डॉलफिन सफारी का उद्घाटन वन विभाग वाराणसी सर्किल के वन संरक्षक डॉ. रवि कुमार सिंह (IFS) ने रिबन काटकर किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि पूर्वांचल में गांगेय डॉलफिन (सूंस) के संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए यह सफारी शुरू की गई है। यह सफारी न केवल पर्यटकों को डॉलफिन की अद्भुत गतिविधियों का आनंद देगी, बल्कि उन्हें गंगा की जैव विविधता और डॉलफिन के जीवन चक्र के बारे में भी जागरूक करेगी।
डॉलफिन सफारी की खासियतें:सफारी में एक बार में सात पर्यटक विशेष नौका से यात्रा कर सकते हैं।
सफारी पूरी तरह निःशुल्क है, लेकिन इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण करना आवश्यक है।
सफारी के दौरान वन विभाग का एक विशेषज्ञ और एक डॉलफिन मित्र उपस्थित रहेंगे, जो पर्यटकों को डॉलफिन संरक्षण और गंगा के पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व से परिचित कराएंगे।यह सफारी टाइगर सफारी की तर्ज पर शुरू की गई है और गंगा की जैव विविधता को समझने का एक अनूठा अवसर है।
जनजागरूकता और अपील: इस अवसर पर प्रभागीय वनाधिकारी श्रीमती स्वाति श्रीवास्तव ने जल और ऊर्जा के महत्व को समझाने और इनके संरक्षण की अपील की। उन्होंने कहा कि गंगा की स्वच्छता और उसमें निवास करने वाले जीवों का संरक्षण हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति: कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. रवि कुमार सिंह के साथ विशिष्ट अतिथि श्रीमती स्वाति श्रीवास्तव, श्री राजन श्रीवास्तव, जिला पर्यावरण समिति के सदस्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव, श्री प्रदीप दूबे, प्रियोदिप हलधर और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सभी ने पहली डॉलफिन सफारी का आनंद लिया।
उपस्थित प्रमुख लोग: रेंज ऑफिसर श्री संजय कुमार, वेस इंडिया के निदेशक डॉ. राजेश श्रीवास्तव, WII के सदस्य, गाजीपुर और वाराणसी के परियोजना अधिकारी, डॉलफिन मित्र, स्थानीय निवासी और वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
निष्कर्ष: डॉलफिन सफारी का यह प्रयास न केवल गंगा की जैव विविधता को संरक्षित करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जल के महत्व के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम भी है। इस तरह के आयोजन भविष्य में जल और ऊर्जा संरक्षण के प्रति लोगों की सोच को और भी जागरूक बना सकते हैं।