
अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र वाराणसी परिसर में सामाजिक- भावनात्मक अधिगम में भावनात्मक विनियमन और भूमिका निभाने के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रीत किया गया ||
(रिपोर्ट संतोष कुमार सिंह)
वाराणसी:- एम्पावरिंग एजुकेटर्स इन द ग्लोबल साउथ’ विषय पर आठ दिवसीय कार्यक्रम अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र (आईयूसीटीई),वाराणसी परिसर में आयोजित हो रहा है | यह कार्यक्रम यूनेस्को एमजीआईईपी,नई दिल्ली और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम,नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है | छठे दिन कुल चार सत्र आयोजित किए गए जिनमें सामाजिक-भावनात्मक अधिगम (SEL) में भावनात्मक विनियमन और भूमिका निभाने के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया |
इन सत्रों में खेल-आधारित शिक्षण, सहपाठी संवाद और भूमिका निभाने की प्रक्रिया के माध्यम से सामाजिक -भावनात्मक कौशल विकसित करने के महत्व पर जोर दिया गया | पहले सत्र में चर्चा की गई कि खेल- आधारित विधियाँ रचनात्मकता और समस्या-समाधान क्षमताओं को कैसे बढ़ाती हैं | दूसरा सत्र सहपाठियों के बीच संवाद और सहयोगी अधिगम में प्रभावी प्रतिक्रिया की भूमिका पर केंद्रित था | अंतिम वार्ताओं में भूमिका निभाने को एक प्रभावी सामाजिक- भावनात्मक शिक्षण (SEL) उपकरण के रूप में प्रस्तुत किया गया जिसमें सहानुभूति और संचार कौशल पर इसके प्रभाव को दर्शाया गया |
शिक्षकों ने अपने पूर्व सफल अनुभव साझा किए और आधुनिक कक्षाओं में नवाचारपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया | सभी सत्र व्यावहारिक गतिविधियों और प्रयोगात्मक शिक्षण पर आधारित थे |
इस कार्यक्रम में 19 देशो के 60 शिक्षक भाग ले रहे है सत्र के वक्ताओं अन्या चक्रवर्ती,भाव्या,श्रेया तिवारी और रेणुका रौतेला ने प्रतिभागियों के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा की | इस कार्यक्रम का समन्वय आईयूसीटीई के कार्यक्रम निदेशक प्रो.आशीष श्रीवास्तव और यूनेस्को एमजीआईईपी नई दिल्ली की राष्ट्रीय परियोजना अधिकारी अर्चना चौधरी द्वारा किया गया | कार्यक्रम के कोर्स समन्वयक डॉ.कुशाग्री सिंह और डॉ. राजा पाठक है ||