
संस्कृति संवाद यात्रा का 33वां पड़ाव वाराणसी के सरायनंदन में सम्पन्न
वाराणसी । “धरोहर संरक्षण सेवा संगठन” द्वारा आयोजित संस्कृति संवाद यात्रा का 33वां पड़ाव रविवार को सिटी मॉन्टेसरी बालिका इंटर कॉलेज, सरायनंदन, खोजवा में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य सनातन संस्कृति के विस्तार और संरक्षण को लेकर जनजागरण करना रहा। बैठक की अध्यक्षता प्रमुख समाजसेविका प्रियंवदा मिश्रा ने की।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संगठन के संयोजक कृष्णा नन्द पाण्डेय ने कहा कि, “हमारे ऋषियों ने आजीविका को संस्कृति से जोड़ा था, जिससे सनातन कर्म संस्कृति सशक्त बनती थी। परंतु मुगल और अंग्रेजों के समय हमारे पारंपरिक व्यवसाय को त्याज्य मान लिया गया, जिससे हमारी सामाजिक और आर्थिक स्थिति कमजोर हुई।” उन्होंने कहा कि आज “आजीविका जेहाद” के रूप में हमारे व्यवसायों पर विधर्मियों का कब्जा हो रहा है, जिसे रोकना हर सनातनी जाति का नैतिक कर्तव्य है।
उठे कई गंभीर मुद्दे:
वक्ताओं ने धर्मांतरण, जनसंख्या असंतुलन और पलायन जैसे मुद्दों को लेकर चिंता जताई।
अर्जुन मौर्य ने कहा कि ये समस्याएं जागरूकता से ही रोकी जा सकती हैं।
राकेश त्रिपाठी ने कहा, “सनातन है तभी संविधान और भारत है।”
विवेक चौहान ने संस्कृति को राष्ट्र की प्राण बताते हुए कहा कि जहां संस्कृति कमजोर हुई, वहां राष्ट्र विभाजित हुआ।
हरिनाथ सिंह ने कहा, “संस्कृति ही आत्मगौरव है, इसलिए हर सनातनी को इसके विस्तार में योगदान देना चाहिए।”
कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य:
इस अवसर पर अशोक पाण्डेय, अरुण चौहान, विशाल दुबे, बबीता चौरसिया, सुनील मिश्र सहित कई गणमान्य जन उपस्थित रहे। आयोजन की जिम्मेदारी “केसरिया भारत” की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रितिका दूबे ने निभाई, संचालन गौरव मिश्र ने किया। कार्यक्रम का समापन सामूहिक श्री हनुमान चालीसा पाठ के साथ किया गया।