
सनातन चेतना ही भारत की वैश्विक पहचान : डॉ. दयाशंकर मिश्र
वाराणसी। सनातन धर्म कोई धर्म विशेष की परिभाषा नहीं, बल्कि यह जीवन जीने की वैज्ञानिक और संतुलित पद्धति है, जो आत्मा, मन और शरीर के समन्वय का मार्ग दिखाती है। यही सनातन चेतना भारत को विश्वगुरु बना सकती है। उक्त बातें प्रदेश सरकार में आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने सोमवार को कहीं। वे सिगरा स्थित एक होटल में सेंटर फॉर सनातन रिसर्च, उत्तर प्रदेश के संगठन विस्तार कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस अवसर पर पूर्व सांसद डॉ. विजय सोनकर शास्त्री, मां विंध्यवासिनी धाम के प्रधान अर्चक अगस्त कुमार द्विवेदी, काशी विशालाक्षी मंदिर के महंत राजनाथ तिवारी, राष्ट्रीय संयोजक डॉ. रमन त्रिपाठी और प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक द्विवेदी ‘गणेश’ सहित अनेक प्रमुख जनों की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम के दौरान नवगठित प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्यों को दायित्व प्रमाण पत्र सौंपे गए। नई टीम में अवधेश तिवारी और अग्नि त्रिपाठी को प्रदेश उपाध्यक्ष, श्रीशरंजन त्रिपाठी को महामंत्री (संगठन), अभिषेक मिश्रा, दिल मोहन तिवारी और मंजू देवी को प्रदेश मंत्री, एकनाथ पांडे को कोषाध्यक्ष, मीनाक्षी को प्रवक्ता, संदीप त्रिपाठी को मीडिया प्रभारी और सौरभ पांडे, श्रीराम द्विवेदी, प्रकाश मिश्रा, आशीष व केके द्विवेदी को विभिन्न दायित्वों के साथ मनोनीत किया गया।
कार्यक्रम में गठित संरक्षण मंडल में विश्वनाथ मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्रा, दुर्गाकुंड मंदिर के पुजारी कमल किशोर, महंत राजनाथ तिवारी, काल भैरव मंदिर के प्रधान पुजारी रोशन गिरी, बीएचयू के विधि अधिकारी अभय पांडे, जिलाध्यक्ष राजेश पांडे, अरविंद शुक्ला, डॉ. किरण पांडे, नित्यानंद त्रिपाठी और दिवाकर द्विवेदी को सम्मिलित किया गया। इस अवसर पर संगठन के प्रबंधक रामकृष्ण पांडे और केशव प्रसाद सेठ को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
समापन सत्र में वक्ताओं ने वैदिक परंपराओं, धार्मिक चेतना और सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार पर बल देते हुए युवाओं को इससे जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज के समय में सनातन विचारधारा को आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़कर प्रस्तुत करना ही समय की मांग है।