
महामना की विरासत का अपमान: कांग्रेस ने महापौर की टिप्पणी पर जताया विरोध
वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की एक्जीक्यूटिव काउंसिल (ईसी) में राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने कड़ा ऐतराज जताया है। कांग्रेस ने वाराणसी के महापौर अशोक कुमार तिवारी की ओर से बीएचयू के पूर्व कुलपति व देश के दूसरे शिक्षा मंत्री स्व. कालूलाल श्रीमाली पर की गई टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसे महामना मदन मोहन मालवीय की शिक्षकीय विरासत का अपमान करार दिया।
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रवक्ता संजीव सिंह ने कहा कि बीएचयू की 100 वर्षों की गरिमामयी परंपरा में यह पहली बार हुआ है जब किसी महापौर को ईसी का सदस्य बनाया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भाजपा अब विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली में भी खुलकर राजनीतिक दखल देना चाहती है? उन्होंने कहा कि बीएचयू का संचालन शिक्षाविदों और विद्वानों के माध्यम से होता आया है, न कि राजनीतिक पदाधिकारियों के जरिए।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि महापौर द्वारा की गई टिप्पणी न सिर्फ स्व. श्रीमाली जी का अपमान है, बल्कि महामना मदन मोहन मालवीय, डॉ. राधाकृष्णन और आचार्य नरेंद्र देव जैसे महान शिक्षाविदों की परंपरा को भी ठेस पहुंचाती है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीएचयू केवल एक विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक व शैक्षिक आत्मा का प्रतीक है। इसे किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत नहीं चलाया जा सकता।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार से मांग की है कि बीएचयू की गरिमा को कायम रखने के लिए तत्काल प्रभाव से राजनीतिक नियुक्तियां रद्द की जाएं और योग्य शिक्षाविदों को ही ईसी में स्थान दिया जाए।