
“लो जा रहा है काफिला ज़िंदा रहे इस्लाम” के नौहे के बीच लौंदा गांव में मोहर्रम जुलूस संपन्न
चंदौली (लौंदा)। मोहर्रम की दसवीं पर लौंदा गांव में अकीदत और भाईचारे का अनूठा नज़ारा देखने को मिला। रविवार को अलम व ताजिया का जुलूस पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ निकाला गया।
जुलूस के दौरान परवेज़ अहमद लाडले ने गमगीन लहजे में नौहा पढ़ा—“लो जा रहा है काफिला ज़िंदा रहे इस्लाम”, जिससे माहौल भावुक हो उठा। या अली और या हुसैन के नारों से पूरा रास्ता गूंजता रहा।
इस अवसर पर मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और आपसी एकता की मिसाल पेश की। अकीदतमंद नंगे पांव चलते हुए इमामबाड़ों से करबला तक पहुंचे, जहां ताजिये, अलम और ज़ुलजनाह पर चढ़ाए फूलों को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
रास्ते में जगह-जगह शर्बत और पानी की सबील लगाई गई। लौंदा गांव के लोगों ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने अपने बलिदान से इंसानियत और धर्म की राह में जो आदर्श स्थापित किए, उन पर चलना हम सबका कर्तव्य है।
इस मौके पर सदर आसिफ इकबाल, अशरफ जमाल राजू, तुफैल अहमद राजू, परवेज़ अहमद लाडले, खुर्शीद प्रधान सहित बड़ी संख्या में हुसैनी अकीदतमंद मौजूद रहे। जुलूस पूरी तरह शांतिपूर्ण और श्रद्धा के वातावरण में संपन्न हुआ।